जानिए क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा, इस समय तक ही करें गुरु पूजन
भारतीय संस्कृति में गुरुओं को ब्रह्माण्ड के प्रमुख देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूज्यनीय माना गया हैं। पुराणों में कहा गया हैं की गुरु ब्रह्मा के समान हैं और मनुष्य योनि में किसी एक विशेष व्यक्ति को गुरु बनाना बेहद जरूरी हैं। क्योंकि गुरु अपने शिष्य का सर्जन करते हुए उन्हें सही राह दिखाता हैं।
हमारे देश में गुरु और शिष्य का रिश्ता बड़ा ही पवित्र माना गया हैं एवं गुरु को देव तुल्य माना गया हैं। गुरु को सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु गुरु पूर्णिमा मनाई जाती हैं। गुरु पूर्णिमा आषाढ़ माह की पूर्णिमा को मनाई जाती हैं जो अपने गुरु के प्रति समर्पण और भक्ति भाव को दिखाती हैं। इस वर्ष 16 जुलाई मंगलवार को गुरु पूर्णिमा आ रही हैं। आज हम आपको गुरु पूर्णिमा का महत्व एवं विशेष पूजन विधि बताएंगे।
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इसलिए मनाते हैं गुरु पूर्णिमा-
हमारे देश में गुरु पूर्णिमा क्यों मनाते हैं यह बहुत ही कम लोग जानते होंगे। आज हम आपको बताते हैं कि गुरु पूर्णिमा पर्व किन्हे समर्पित हैं। पौराणिक गाथाओं एवं शास्त्रों की मानें तो अनेक ग्रन्थों की रचना करने वाले वेदव्यास को सभी मानव जाति का गुरु माना गया हैं। बताया जाता हैं कि आज से लगभग 3 हजार ई. पूर्व आषाढ़ माह की पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। तब से ही उनके मान-सम्मान एवं कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती हैं। भारतभर में इस दिन अधिकांश जगह लोग महर्षि वेदव्यास के चित्र का पूजन कर उनके द्वारा रचित ग्रंथो को पढ़ते हैं। गुरु पूर्णिमा को कई जगह भव्य महोत्सव के रूप में मनाते हुए ब्रह्मलीन गुरुओं की समाधि का पूजन अर्चन भी करते हैं।
गुरु पूर्णिमा का महत्व-
भारतीय संस्कृति में गुरुओं को ब्रह्माण्ड के प्रमुख देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूज्यनीय माना गया हैं। पुराणों में कहा गया हैं की गुरु ब्रह्मा के समान हैं और मनुष्य योनि में किसी एक विशेष व्यक्ति को गुरु बनाना बेहद जरूरी हैं। क्योंकि गुरु अपने शिष्य का सर्जन करते हुए उन्हें सही राह दिखाता हैं। इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन बहुत से लोग अपने ब्रह्मलीन गुरु या संतो के चरण एवं उनकी चरण पादुका की पूजा अर्चना करते हैं। गुरु के प्रति समर्पण भाव गुरु पूर्णिमा के दिन देखा जा सकता हैं।
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इस विशेष विधि से करें गुरु पूजन-
गुरु पूर्णिमा के दिन अनेक मठों एवं मंदिरों पर गुरुपद पूजन रहता हैं। अगर आपके गुरु दिवंगत हो गए हो तो आप इस तरह से गुरु पूजन गुरु पूर्णिमा को कर सकते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे पहले घर की उत्तर दिशा में एक सफेद वस्त्र पर अपने गुरु का चित्र रख देवे। जिसके बाद उन्हें फूलों की माला पहनाकर मिठाई का भोग लगाएं एवं आरती कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। इस दिन सफेद व पीले वस्त्र पहनकर पूजा करें। यह पूजन विधि वे लोग भी अपना सकते हैं जो अपने गुरु से दूर हो एवं किसी कारण से अपने गुरु के पूजन-वंदन को नही जा सकते हैं। अगर आप गुरु का पूजन वंदन करने जा रहे है तो गुरु के पग पर पुष्प, अक्षत एवं चंदन से उनका पूजन कर उन्हें मिठाई या फल भेंट कर सकते हैं।
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इस गुरु पूर्णिमा 4 बजे बाद ना करें गुरु की पूजा-
मंगलवार को गुरु पूर्णिमा के दिन ही चंद्रग्रहण हैं। चंद्रग्रहण मंगलवार मध्य रात्रि के बाद यानि बुधवार रात्रि 1:33 बजे प्रारंभ हो जाएगा। जिसका सूतक 9 घंटे पहले यानि मंगलवार को शाम 4 बजे बाद लग जाएगा। गुरु को देवताओ के समान माना गया हैं। इसलिए देवताओं की तरह गुरु का भी पूजन सूतक में नही होता हैं। अतः आप इस मंगलवार को गुरु पूर्णिमा के दिन शाम 4 बजे बाद अपने गुरु का पूजन-अर्चन ना करें।
कमल सिंघी
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