By अनन्या मिश्रा | Oct 12, 2025
ग्वालियर की राजमाता और भाजपा की दिग्गज नेता रहीं राजमाता विजयाराजे सिंधिया का 12 अक्तूबर को जन्म हुआ था। विजयाराजे सिंधिया का राजनीति में आना किसी फिल्मी ड्रामे से कम नहीं था। उनकी पर्सनल लाइफ में भी कम उथल-पुथल नहीं थी, तो वहीं राजमाता विजयाराजे सिंधिया का अपने इकलौते बेटे माधवराव सिंधिया से विवाद भी किसी से छिपा नहीं था। हालांकि विजयाराजे सिंधिया ने अपने सियासी सफर की शुरूआत कांग्रेस के साथ की थी। लेकिन एक अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने जनसंघ का दामन थाम लिया। राजमाता विजया राजे सिंधिया मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट से 6 बार सांसद रही थीं। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
मध्य प्रदेश के सागर में 12 अक्टूबर 1919 को राजमाता विजयाराजे सिंधिया का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम महेंद्र सिंह ठाकुर था, जोकि यूपी के जालौन जिले के डिप्टी कलेक्टर थे। उनकी मां का नाम विदेंश्वरी देवी था। वहीं 21 फरवरी 1941 को ग्वालियर के महाराजा जीवाजीराव सिंधिया से विजयाराजे सिंधिया से हुई।
पति के निधन के बाद राजमाता राजनीति में सक्रिय हुई और साल 1957 से 1991 तक 8 बार ग्वालियर के गुना से सांसद रही। कभी राजमाता विजयाराजे की देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की करीबी मानी जाती थीं। विजयाराजे ने साल 1957 से कांग्रेस से अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था। फिर 10 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद साल 1967 में उन्होंने पार्टी का दामन छोड़ दिया।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया अपने जीवनकाल में इकलौते बेटे कांग्रेस नेता रहे माधवराव सिंधिया से गहरा विवाद रहा था। उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा था कि उनका अंतिम संस्कार उनके बेटे माधवराव सिंधिया नहीं करेंगे। राजमाता विजयाराजे सिंधिया का सार्वजनिक जीवन जितना आकर्षक था, पारिवारिक जीवन उतना ही ज्यादा मुश्किलों भरा रहा था। राजमाता पहले कांग्रेस में थीं, फिर बाद में इंदिरा गांधी की नीतियों के विरोध में उनकी ठन गई और बाद में पूरी जिंदगी राजमाता ने जनसंघ और भाजपा में रहकर गुजारी।
राजमाता विजयाराजे सिंधिया अपने बेटे माधवराव सिंधिया से कांग्रेस का दामन थामने के कारण नाराज थीं। विजयाराजे ने कहा था कि आपातकाल के दौरान उनके बेटे माधवराव सिंधिया के सामने पुलिस ने उनको अपमानित किया था। मां-बेटे में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता रही। इसके कारण ग्वालियर के जयविलास पैलेस में रहने के लिए विजयाराजे ने अपने ही बेटे माधवराव से किराया भी मांग लिया था।
वहीं 25 जनवरी 2001 राजमाता विजयाराजे सिंधिया का निधन हो गया था।