श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को मारकर यमुना को विषमुक्त कर दिया

importance of yamuna jayanti

बासंतिक नवरात्र के छठे दिन यमुना जयंती मनायी जाती है। यमुना जयंती हिन्दुओं द्वारा मनाए जाने वाले प्रमुख जयंतियों में से एक है। यमुना जयंती को यमुना छठ के रूप में भी जाना जाता है।

बासंतिक नवरात्र के छठे दिन यमुना जयंती मनायी जाती है। यमुना जयंती हिन्दुओं द्वारा मनाए जाने वाले प्रमुख जयंतियों में से एक है। यमुना जयंती को यमुना छठ के रूप में भी जाना जाता है। श्रद्धालुओं द्वारा यमुना नदी के जन्मोत्सव को यमुना जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार का उत्साह मथुरा और वृंदावन में खास तौर से देखा जाता है। तो आइए हम आपको यमुना जयंती के बारे में कुछ रोचक जानकारियां देते हैं। 

हमारी भारतीय संस्कृति में नदियों को देवी के रूप में पूजा जाता है। यमुना नदी को कालिंदजा या कालिंदी के नाम से भी जाना जाता है। यमुना नदी हिमालय के बंदरपुच्छ में मौजूद कालिंदी पर्वत से निकलती है। यमुना नदी उत्तराखंड के यमुनोत्री से निकलकर ब्रजमंडल से होते हुए प्रयागराज में संगम पर सरस्वती और गंगा के साथ मिलती है।

गर्ग संहिता में यमुना का वर्णन किया गया है। पौराणिक कथाओं में ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को मारकर विषाक्त यमुना को विषमुक्त कर उसका उद्धार किया था। यमुना जी के भक्त रोज उनका पाठ भी करते हैं। ब्रह्म पुराण में यमुना के आध्यात्मिक रूप का भी वर्णन मिलता है। साथ ही उपनिषदों में इसे सच्चिदानंद कह कर पुकारा गया है। 

पुराणों में यमुना देवी के बारे में कहा गया है कि यमुना सूर्य देव की बेटी हैं। यमराज उनके बड़े भाई और शनिदेव छोटे भाई है। वैष्णव लोग मानते हैं कि यमुना श्रीकृष्ण की पटरानी हैं। भगवान श्रीकृष्ण ब्रज संस्कृति के जनक माने जाते हैं और यमुना को जननी माना जाता है। इसलिए मथुरा-वृंदावन में यमुना देवी को माता मानकर यमुना नदी को यमुना मैया भी कहा जाता है। 

यमुना नदी के बारे में एक और बात मानी जाती है वह यह है कि यमुना नदी का जल श्वेत वर्ण न होकर श्याम वर्ण है। वामन पुराण में कहा गया है कि दक्ष के यज्ञ में शिव के तिरस्कार से सती बहुत आहत हुईं उनके अग्नि में जल जाने से शिव दुखी हुए। दुखी होकर शिव जी यमुना नदी में कूद पड़े जिससे यमुना नदी का रंग काला पड़ गया। ऐसी भी मान्यता है मुरलीधर के यमुना नदी में प्रवेश से जल काला पड़ गया। 

यमुना जयंती के दिन सुबह स्नान करते समय पानी में काला तिल मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय श्रीकृष्ण शरणम ममः का जाप करें। इस प्रकार के जाप से समस्त कष्टों का नाश होगा और लाभ मिलेगा। यमुना जयंती को भक्त बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। जयंती को प्रातः सूर्योदय से पहले भक्त यमुना नदी में स्नान करते हैं। यमुना नदी में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध हो जाती है। स्नान के बाद खास मुहूर्त में विशेष तरह की छठ पूजा की जाती है और यमुना देवी को समर्पित किया जाता है। उसके बाद श्रीकृष्ण की पूजा होती है। कुछ लोग यमुना छठ के दिन कठिन उपवास भी करते हैं। व्रत 24 घंटे चलता है और उसके बाद देवी को प्रसाद चढ़ा कर सगे-सम्बन्धियों में बांटा जाता है। 

-प्रज्ञा पाण्डेय

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