नवरात्रि 2018 की तिथियों पर भ्रम हुआ दूर, ऐसे करें माता को प्रसन्न

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शुभा दुबे । Oct 9 2018 3:41PM

नवरात्रि के प्रथम दिन ही प्रतिपदा और द्वितीया है इसीलिए लोगों को नवरात्रि की तिथियों को लेकर भ्रम हो रहा है। देखा जाये तो नवमी तो 9 अक्तूबर से ही लग चुकी है इसलिए 10 अक्तूबर को सुबह 7.25 बजे तक ही नवमी का प्रभाव रहेगा।

इस वर्ष चूँकि नवरात्रि के प्रथम दिन ही प्रतिपदा और द्वितीया है इसीलिए लोगों को नवरात्रि की तिथियों को लेकर भ्रम हो रहा है। देखा जाये तो नवमी तो 9 अक्तूबर से ही लग चुकी है इसलिए 10 अक्तूबर को सुबह 7.25 बजे तक ही नवमी का प्रभाव रहेगा। आइए जानते हैं इस बार नवरात्रि की तिथियों के बारे में-

प्रतिपदा और द्वितीया- 10 अक्तूबर

तृतीया- 11 अक्तूबर

चतुर्थी- 12 अक्तूबर

पंचमी- 13 अक्टूबर

पंचमी- 14 अक्तूबर

षष्टी- 15 अक्तूबर

सप्तमी- 16 अक्तूबर

अष्टमी- 17 अक्तूबर

नवमी- 18 अक्तूबर

दशमी- 19 अक्तूबर- विजया दशमी

-नवरात्रि के नौ दिनों में पूजे जाने वाले माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की बात करें तो पहला स्वरूप 'शैलपुत्री' के नाम से विख्यात है। कहा जाता है कि पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा।

-दूसरे दिन मां के दूसरे स्वरूप 'ब्रह्मचारिणी' की पूजा अर्चना की जाती है।

-दुर्गा जी का तीसरा स्वरूप मां 'चंद्रघंटा' का है। तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व माना गया है।

-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है।

-पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। स्कंदमाता अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।

-दुर्गा जी के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है।

-माता दुर्गा के सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि है। मान्यता है कि सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा से ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है।

-दुर्गा जी की आठवें स्वरूप का नाम महागौरी है। यह मनवांछित फलदायिनी हैं।

दुर्गा जी के नौवें स्वरूप का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।

नवरात्रि में माता को सभी भक्त प्रसन्न करना चाहते हैं। इसलिए यहाँ हम आपको कुछ विशेष उपाय बता रहे हैं जोकि फलदायी सिद्ध होंगे।

-प्रथम दिन माँ शैलपुत्री को सफेद चीजों का भोग लगायेंगे तो रोगों से मुक्ति मिलेगी।

-द्वितीय दिन माँ ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं इससे आयु लंबी होती है।

-तृतीय दिन माँ चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएंगे तो सभी दुःखों का नाश होगा।

-चतुर्थ दिन माँ कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं और इनमें से कुछ खुद खाएँ और कुछ ब्राह्मण को दान दें इससे आपकी बुद्धि का विकास होगा।

-पंचम दिन माँ स्कंदमाता को केले का भोग लगाएँ और उसे ब्राह्मण को दान दे दें।

-षष्ठी तिथि को माँ कात्यायनी के प्रसाद में मधु यानि शहद का उपयोग करें।

-सप्तमी को माँ कालरात्रि को गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें।

-अष्टमी के दिन माँ महागौरी को नारियल का भोग लगाने से मनोकामना पूर्ण होती है। इस दिन नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।

-नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगा कर उसे गरीबों में बाँटें। इससे आपके जीवन में सुख और शांति बनी रहेगी।

-शुभा दुबे

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