आलोकनाथ को मिली अग्रिम जमानत, FIR में देरी पर कोर्ट ने किया गौर
अदालत ने विशेष रूप से नंदा द्वारा एफआईआर दर्ज कराने में दो दशक की देरी को रेखांकित किया और कहा कि इतनी देरी से यह खतरा बढ़ जाता है कि घटना के ब्यौरे को ‘‘ रंग दिया गया और बढ़ाचढ़ा कर पेश किया गया।’’
मुम्बई। सत्र अदालत ने पटकथा लेखिका विंता नंदा द्वारा अभिनेता आलोक नाथ के खिलाफ दर्ज कराए गए बलात्कार के मामले में अभिनेता को अग्रिम जमानत देने के साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि बालीवुड अभिनेता को झूठे फंसाए जाने की संभावना से वह इंकार नहीं कर सकता। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस एस ओझा ने शनिवार पांच जनवरी को आलोकनाथ को पांच लाख रूपये की जमानत राशि पर अग्रिम जमानत दे दी। अदालत ने विशेष रूप से नंदा द्वारा एफआईआर दर्ज कराने में दो दशक की देरी को रेखांकित किया और कहा कि इतनी देरी से यह खतरा बढ़ जाता है कि घटना के ब्यौरे को ‘‘ रंग दिया गया और बढ़ाचढ़ा कर पेश किया गया।’’
Writer Vinta Nanda rape case: Alok Nath granted anticipatory bail by Dindoshi Sessions Court. In its order court has observed that Alok Nath may have been falsely enroped in the crime. (file pic) pic.twitter.com/E2cUFoJm6P
— ANI (@ANI) January 9, 2019
अदालत का यह आदेश मंगलवार को अपलोड किया गया। आदेश में न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता द्वारा पुलिस को दिए गए बयान में कुछ विसंगतियां हैं। अदालत ने कहा,‘‘ यह बात गौर करने लायक है कि शिकायतकर्ता को पूरी घटना तो याद रही लेकिन उसे घटना की तारीख और महीना याद नहीं है।’’ अदालत ने कहा,‘‘ ऐसे तथ्यों के मद्देनजर, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि आवेदनकर्ता को मामले में झूठा फंसाया गया।’’ अदालत ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि एफआईआर दो दशक बाद दर्ज करायी गयी। न्यायाधीश ने कहा, हालांकि उच्चतम न्यायालय कह चुका है कि बलात्कार और यौन शोषण के मामलों में एफआईआर दर्ज कराने में देरी की अनेदखी की जानी चाहिए लेकिन ऐेसे मामलों में एफआईआर ‘‘महत्वपूर्ण और कीमती ’’ सबूत है।
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बॉलीवुड में चली ‘मी टू’ लहर के दौरान पिछले साल आठ अक्टूबर को पटकथा लेखक ने सोशल मीडिया पर नाथ का नाम लिए बिना अपने अनुभव साझा किए थे। इसके बाद नंदा ने मुंबई के ओशिवारा पुलिस थाने में नाथ पर 1998 में पेय पदार्थ में कुछ मिलाकर उनका (नंदा का) बलात्कार करने का आरोप लगाया। अभिनेता (62) के खिलाफ नवम्बर में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत मामला दर्ज किया गया था। अग्रिम जमानत की अपील के समय नाथ ने दावा किया कि निजी दुश्मनी के कारण यह मामला दर्ज किया गया क्योंकि नंदा, उसके अपनी पत्नी आशू के साथ संबंधों को लेकर खुश नहीं थी । नंदा की आशू के साथ पहले अच्छी दोस्ती थी।
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