राज कपूर से ब्रेकअप के बाद आत्महत्या करना चाहती थीं नरगिस, फिर मिला सुनील दत्त का सहारा

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रेनू तिवारी । May 3 2019 12:15PM

नरगिस दत्त ने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुआत बचपन में फिल्म ''तलाश-ए-हक़'' 1935 में की थी। नरगिस दत्त जब बड़ी हुई तब उन्होंने 1942 में फिल्म तमन्ना से अपने आगे का सफर तय किया।

नरगिस दत्त का असली नाम फ़ातिमा रशिद था। लेकिन बॉलीवुड की चमक में फ़ातिमा, नरगिस बन गई। नरगिस दत्त वो अदाकारा है जिन्होंने सिनेमा इंडस्ट्री को ऊंचाई पर पहुंचाया। नरगिस दत्त की फिल्म मदर इंडिया ने भारतीय सिनेमा को पहली ऑस्कर पुस्कार दिलवाया। फिल्म मदर इंडिया में नरगिस दत्त ने साबित कर दिया कि आने वाले कलाकरों को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। 

नरगिस दत्त ने अपने फ़िल्मी सफर की शुरुआत बचपन में फिल्म 'तलाश-ए-हक़' 1935 में की थी। नरगिस दत्त जब बड़ी हुई तब उन्होंने 1942 में फिल्म तमन्ना से अपने आगे का सफर तय किया। इसके बाद नरगिस रूकी नहीं, उन्होंने लगातार हिट फिल्में दी। नरगिस दत्त 1957 में मदर इंडिया फ़िल्म के लिए एकेडमी अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया था, साथ ही इस फ़िल्म के लिए इन्हें सबसे अच्छी फ़िल्म अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिया गया था। 

राज कपूर से ब्रेकअप के बाद आत्महत्या करना चाहती थीं नरगिस

इस मुकाम पर पहुंचने के बाद भी एक दौर आया जब नरगिस दत्त आत्महत्या करना चाहती थीं। जी हां सुनील दत्त से शादी करने से पहले नरगिस राज कपूर से प्यार करती थीं। वो राज के प्यार में इस कदर पागल थी कि जब राज कपूर नरगिस को छोड़ कर चले गये तब नरगिस को अगल होने का गम बरदाश्त नहीं हुआ। वो अपनी जिंदगी को खत्म कर लेना चाहती थी। तब नरगिस को सुनील दत्त का सहारा मिला। 

सुनील दत्त से शादी

मदर इण्डिया की शूटिंग के दौरान सुनील दत्त ने उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा जिसे उन्होंने सहज स्वीकार का लिया था। 11 मार्च 1958 को नरगिस ने सुनील दत्त से विवाह कर लिया और फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया। सुनील दत्त एक मशहूर फिल्म अभिनेता थे। उनके तीन बच्चे हुए, संजय, अंजू और प्रिया। वर्तमान में संजय दत्त फिल्म कलाकार है तथा प्रिया दत्त राजनीती से जुडी हुई है।

समाज सेवा 

नरगिस एक अभिनेत्री से ज्यादा एक समाज सेविका रही है। उन्होंने नेत्रहीन और विशेष बच्चों के लिए काम किया था। वे भारत की पहली स्पास्टिक्स सोसाइटी की पेट्रन बनी थी। उन्होंने अजंता कला सांस्कृतिक दल बनाया जिसमें तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे, उनका मनोरंजन करते थे। बांग्लादेश बनने के बाद 1971 में उनका दल पहला था जिसने वहां कार्य किया था।

इनका निधन 1981 में अग्नाशय कैंसर की वजह से हो गया था। इनके निधन से कुछ ही वर्षों पूर्व पुत्र संजय दत्त ने भारतीय सिनेमा में कदम रखा था। इनके निधन से ही तीन दिन बाद संजय दत्त की पहली फिल्म रोकी रिलीज हुई।

संजय की चिंता करते हुए ली आखिरी सांस

कैंसर के बाद उन्हें बेटे संजय की काफी फिक्र रहती थी। इलाज करवाने के लिए जब वो अमेरिका का जा रही थीं तब उन्होंने सुनील को खत लिखकर संजय को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। उन्होंने लिखा था- 'इस बात का खास ध्यान रखना कि संजय दोबारा बुरी आदतों में ना पड़े।' 1981 में उनकी मृत्यु मुंबई में ही हुई। नरगिस की याद में 1982 में नरगिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन बनाया। 

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