हम सब में खामियां हैं, कोई भी पूर्ण नहीं होता है: अश्निनी अय्यर
अश्विनी अय्यर तिवारी की फिल्मों के ज्यादातर किरदार ऐसे होते हैं जिनमें खामियां होती हैं और वे पूर्ण नहीं होते हैं। वे किरदार रोजमर्रा के जीवन में मिलनेवाले लोगों की तरह खामियों और खूबियों वाले होते हैं।
बैंकॉक। अश्विनी अय्यर तिवारी की फिल्मों के ज्यादातर किरदार ऐसे होते हैं जिनमें खामियां होती हैं और वे पूर्ण नहीं होते हैं। वे किरदार रोजमर्रा के जीवन में मिलनेवाले लोगों की तरह खामियों और खूबियों वाले होते हैं। निर्देशक का कहना है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मानवीय व्यवहार में भी ‘खामियां’ होती हैं।
निर्देशक की फिल्म ‘बरेली की बर्फी’ न केवल आम दर्शकों को पसंद आई थी बल्कि उसे फिल्म आलोचकों ने भी सराहा था। यह एक रोमांटिक कॉमेडी थी। अय्यर ने बैकॉक में आयोजित आईफा समारोह में पीटीआई से कहा, ‘‘मेरा मानना है कि मानवीय व्यवहार ऐसा ही होता है, उसमें खामियां होती हैं। हम सभी में खामी है और कोई भी पूर्ण नहीं है। ऐसे किरदारों से दर्शक सीधे जुड़ जाते हैं। इसलिए हां, मेरी फिल्मों के किरदारों में खामियां रहेंगी।
निर्देशक का मानना है कि यह महत्वपूर्ण होता है कि दर्शक कहानी के साथ एक रिश्ता महसूस करें और फिल्म से जुड़ें। उन्होंने कहा, मैं हर फिल्म के साथ खुद को चुनौती देती हूं। ‘नील बट्टे सन्नाटा’ से लेकर ‘बरेली की बर्फी’ तक में मैंने यह किया है। यह दोनों ही अलग तरह की फिल्में हैं। अब, मैं कुछ कबड्डी पर कुछ कर रही हूं और उसके बाद आलिया भट्ट के साथ काम करूंगी। कबड्डी एक खेल है, इसलिए यह मेरे लिए एक और चुनौती है।
अन्य न्यूज़