राम मंदिर निर्माण को लेकर स्वरा भास्कर ने उगला था जहर! उठाए थे कोर्ट पर सवाल,अब होगी कार्यवाही ?
राम मंदिर पर जब कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था को स्वरा भास्कर ने कोर्ट पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने काफी अपमान जनक टिप्पियां भी की थी। जिसके बाद स्वारा पर कोर्ट की अवमानना का केस दर्ज किया जाने वाला था।
नयी दिल्ल। एक्ट्रेस स्वरा भास्कर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बनीं रहती है। स्वारा भास्कर का दावा है कि वह सामाज में उन लोगों के हक में आवाज उठाती है जिन पर भाजपा सरकार अत्याचार कर रही है। स्वरा भास्कर ने सरकार के द्वारा पारित किया गया सीएए औऱ एनआरसी बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया था। स्वारा ने दिल्ली की राजनीति में भी दखल दिया और विधानसभा चुनाव आप पार्टी का प्रचार किया। स्वरा भास्कर को उनकी एक तरफा सोच और बिना सोचे समझे दिये गये बयानोंं को लेकर सोशल मीडिया पर काफी ट्रोेल किया जाता है।
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राम मंदिर पर जब कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था को स्वरा भास्कर ने कोर्ट पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने काफी अपमान जनक टिप्पियां भी की थी। जिसके बाद स्वारा पर कोर्ट की अवमानना का केस दर्ज किया जाने वाला था। लेकिन ताजा जानकारी के मुताबिक अटॉनी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर के खिलाफ अदालत की आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने से इंकार कर दिया है। राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ अभिनेत्री ने कथित तौर पर ‘‘अपमानजनक और निंदनीय’’ बयान दिए थे। किसी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अदालत की अवमानना कानून, 1971 की धारा 15 के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलीसीटर जनरल की सहमति की जरूरत होती है।
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अभिनेत्री के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए वकील अनुज सक्सेना ने अटॉर्नी जनरल की सहमति मांगी थी। वेणुगोपाल ने 21 अगस्त को सक्सेना को लिखे पत्र में कहा कि अभिनेत्री के बयान दो पैराग्राफ में हैं, जो तथ्यात्मक प्रतीत होते हैं और यह बोलने वाले की अपनी धारणा हो सकती है।
वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इस मामले में अदालत की निंदा या अदालत के अधिकारों को कमतर करने का अपराध नहीं बनता है। इसलिए मैं स्वरा भास्कर के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति देने से इंकार करता हूं।’’ सक्सेना और अन्य ने आरोप लगाए हैं कि भास्कर ने ‘मुंबई कलेक्टिव’ की तरफ से एक फरवरी 2020 को आयोजित एक पैनल परिचर्चा में ये बयान दिए थे।
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