कश्मीर के आजाद होते ही बॉलीवुड में आर्टिकल 370 पर फिल्म बनाने की लगी होड़

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रेनू तिवारी । Aug 8 2019 3:47PM

फिलहाल जिन शीर्षकों का पंजीकरण कराया गया है उनमें आर्टिकिल 370, आर्टिकिल 370 स्क्रैप्ड, आर्टिकिल 35ए, आर्टिकिल 370 एबॉलिश्ड, आर्टिकिल 35ए स्क्रैप्ड, कश्मीर में तिरंगा, कश्मीर हमारा है और 370 आर्टिकिल शामिल हैं।

मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैलसा लिया और बरसों पुरानी कश्मीर की समस्या को खत्म कर दिया। समस्या खत्म हुई है या बढ़ी है इस पर टीवी पर लंबी-चौड़ी बहस चल रही है। धारा 370 पर अब अपनी राय देने के लिए फिल्ममेकर्स भी मैदान में उतर आये हैं। संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने की केंद्र सरकार की घोषणा के बाद, फिल्मकार इस विषय पर फिल्म बनाने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं और उन्होंने ‘आर्टिकल 370’ तथा ‘कश्मीर हमारा है’ जैसे नाम पंजीकृत कराए हैं। फिलहाल जिन शीर्षकों का पंजीकरण कराया गया है उनमें आर्टिकिल 370, आर्टिकिल 370 स्क्रैप्ड, आर्टिकिल 35ए, आर्टिकिल 370 एबॉलिश्ड, आर्टिकिल 35ए स्क्रैप्ड, कश्मीर में तिरंगा, कश्मीर हमारा है और 370 आर्टिकिल शामिल हैं। 'कंम्प्लीट सिनेमा' ट्रेड मैगजीन के एडिटर अतुल मोहन ने अपने ट्वीट में भी इस संबंध में जानकारी दी है।

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केंद्र सरकार ने सोमवार को एक विधेयक में राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों - जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का प्रस्ताव भी किया था। इसके बाद कई फिल्मकार ‘इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन’(आईएमपीपीए) का रूख कर फिल्म का नाम पंजीकृत कराने के लिए जानकारी हासिल कर रहे हैं। निकाय के करीबी एक सूत्र ने बताया कि ‘आर्टिकल 370’ और ‘कश्मीर हमारा है’ जैसे कई नाम पंजीकृत कराए गए हैं। संस्था से जुड़े एक शख्स ने बताया, ‘‘ ऐसा नहीं होता है कि आपने कोई नाम पंजीकृत कराया और वो आपको आवंटित कर दिया गया। कई फिल्मकार इस विषय पर फिल्म बनाना चाहते हैं क्योंकि यह एक ज्वलंत मुद्दा है और लोगों ने ‘आर्टिकल 370’ नाम के संबंध में जानकारी हासिल की है।’’ सूत्रों के मुताबिक, जब कुछ ऐतिहासिक घटनाक्रम और खबरों में रहने वाले घटनाक्रम होते हैं तो निर्माता फिल्म का नाम पंजीकृत कराने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में और नाम पंजीकृत हो सकते हैं। हालांकि फिल्म बनाने के लिए निर्माताओं को कहानी आदि पर काम करना है। सूत्र ने बताया कि पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद, कई फिल्मकारों ने इसको लेकर नाम पंजीकृत कराए थे, लेकिन हमने एक व्यक्ति को सिर्फ एक नाम आवंटित किया है। 

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इससे पहले अभिनेता आयुष्मान खुराना की फिल्म 'आर्टिकिल 15' को बनाया गया था। इस फिल्म को लोगों ने खूब पसंद किया था फिल्म में समानता के अधिकार का मुद्दा उठाया गया था कि कैसे आज भी ऊंची जाति के लोग हरिजनों से कैसा व्यवहार करते हैं फिल्म में मात्र 3 रुपये मजदूरी बढ़ने के लिए दो लड़कियां कहती हैं जिनका मुंह बंद करने के लिए उनके साथ रेप किया जाता हैं और गांव के बाहर मार कर पेड़ पर लटका दिया जाता है।

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