खेलों से मिली वर्षों के अवसाद से लड़ने में मदद: दीपिका

[email protected] । Jul 11 2016 1:39PM

दीपिका ने कहा, ‘‘खेल ने ही मुझे सिखाया कि विफलता से कैसे निपटना है। इसने मुझे यह भी सिखाया कि सफलता को कैसे लेना है। इसने मुझे जमीन से जोड़कर रखा। इसने मुझे विनम्रता सिखाई।''''

अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने कहा है कि खेलों ने उनकी जिंदगी बदल दी और उन्हें दो साल तक चले अवसाद से लड़ना भी सिखाया। खुद बेडमिंटन खिलाड़ी रहीं दीपिका ने फेसबुक के जरिए युवाओं को कोई न कोई खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। ‘बाजीराव मस्तानी’ की स्टार अभिनेत्री ने बताया कि किस तरह खेल ने आगे बढ़ते रहने में और मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने में उनकी मदद की। उन्होंने कहा, ‘‘खेल ने ही मुझे सिखाया कि विफलता से कैसे निपटना है। इसने मुझे यह भी सिखाया कि सफलता को कैसे लेना है। इसने मुझे जमीन से जोड़कर रखा। इसने मुझे विनम्रता सिखाई।’’

दीपिका ने कहा कि उनके अंदर हमेशा मौजूद रहने वाली खिलाड़ी इन्हें लड़ने की ताकत देती है। उन्होंने कहा, ‘‘दो साल पहले मैं अवसाद से जूझ रही थी। मैं डूबती जा रही थी। मैं लगभग हार मान चुकी थी। लेकिन मेरे अंदर मौजूद खिलाड़ी ने मुझे लड़ने की और कभी हार न मानने की ताकत दी।’’ युवाओं से अपील करते हुए दीपिका ने लिखा, ‘‘हर लड़की और हर लड़के को और हर महिला और हर पुरूष को कोई न कोई खेल खेलना चाहिए। क्योंकि इसने मेरी जिंदगी बदल दी और यह आपकी जिंदगी भी बदल देगा।’’

खेलों को अपने जिंदा रहने की एक वजह बताते हुए दीपिका ने लिखा, ‘‘खेलों ने मुझे सिखाया है कि कैसे (समस्याओं से) पार पाया जाता है। इसने मुझे सिखाया है कि कैसे लड़ना है। इसने मुझे कभी न रूकने वाला बना दिया है।’’ अभिनेत्री ने यह ‘परफेक्ट’ बने रहने के अपने पिता के सूत्र का भी जिक्र किया, ‘‘जब मैं बड़ी हो रही थी, तो मेरे पिता ने मुझसे कहा, ‘‘सर्वश्रेष्ठ होने के लिए तीन ‘डी’ याद रखना- डिसिप्लिन (अनुशासन), डेडीकेशन (समर्पण) और डिटरमिनेशन (प्रतिबद्धता)। अपने दिल की सुनिए। वही कीजिए, जिसका आपमें जुनून है।’'

We're now on WhatsApp. Click to join.

Tags

    All the updates here:

    अन्य न्यूज़