स्किन कलर का मजाक उड़ाने वालों को शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान ने दिया करारा जवाब

suhana khan

20 वर्षीय सुहाना ने इंस्टाग्राम पर की एक पोस्ट में लिखा कि जब वह मात्र 12 वर्ष की थीं तब गेहुंए रंग को लेकर उन्हें ‘‘बदसूरत’’ कहा गया। उन्होंने मंगलवार को इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘‘अभी काफी कुछ चल रहा है और यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे हमें सुलझाने की जरूरत है।

मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान एवं निर्माता गौरी खान की पुत्री सुहाना खान ने सोशल मीडिया के उन उपयोगकर्ताओं को आड़े हाथ लिया जो उनके रंग को लेकर उन्हें ट्रोल कर रहे थे। 20 वर्षीय सुहाना ने इंस्टाग्राम पर की एक पोस्ट में लिखा कि जब वह मात्र 12 वर्ष की थीं तब गेहुंए रंग को लेकर उन्हें ‘‘बदसूरत’’ कहा गया। उन्होंने मंगलवार को इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘‘अभी काफी कुछ चल रहा है और यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे हमें सुलझाने की जरूरत है। यह केवल मुझ से संबंधित नहीं है, यह हर उस लड़की या लड़के से संबंधित है जो बिना किसी कारण के हीन भावना से ग्रसित होकर बड़े हुए हैं।’’ सुहाना ने अपने रंग को लेकर सोशल मीडिया पर की गई अपमानजनक टिप्पणियों के स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा, ‘‘ये कुछ टिप्पणी हैं जो मेरे रूप रंग को लेकर की गई हैं।’’

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There's a lot going on right now and this is one of the issues we need to fix!! this isn't just about me, it's about every young girl/boy who has grown up feeling inferior for absolutely no reason. Here are just a few of the comments made about my appearance. I've been told I'm ugly because of my skin tone, by full grown men and women, since I was 12 years old. Other than the fact that these are actual adults, what's sad is that we are all indian, which automatically makes us brown - yes we come in different shades but no matter how much you try to distance yourself from the melanin, you just can't. Hating on your own people just means that you are painfully insecure. I'm sorry if social media, Indian matchmaking or even your own families have convinced you, that if you're not 5"7 and fair you're not beautiful. I hope it helps to know that I'm 5"3 and brown and I am extremely happy about it and you should be too. #endcolourism

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उन्होंने कहा कि भारतीय गेहुंआ रंग के होते हैं और कुछ लोगों द्वारारंग को लेकर नफरत प्रदर्शित करना उनकी असुरक्षित प्रकृति को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं 12 वर्ष की थी तब पुरुषों और महिलाओं द्वारा मुझे मेरे रंग की वजह से बदसूरत कहा गया। इस तथ्य के अलावा कि ये वास्तव में वयस्क थे, दुख की बात यह है कि हम सभी भारतीय हैं जो हमें स्वत: ही गेहुंआ बनाता है..हां हमारा रंग थोड़ा अलग-अलग होता है, लेकिन आप स्वयं को मेलेनिन से कितना भी दूर करने का प्रयास करें, इसमें सफल नहीं हो सकते। अपने लोगों से नफरत करने का केवल यही मतलब है कि आप असुरक्षित महसूस करते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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