लिंचिंग के समर्थन में कंगना कहा- कोई धर्म गाय को पूजता है तो गोकशी क्यों?

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रेनू तिवारी । Aug 16 2018 5:41PM

अभिनेत्री कंगना रनौत अपनी एक्टिंग के साथ साथ अपने बेबाक बोलने को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। अब एक बार फिर वह अपने बयान की वजह से हेडलाइन्स बना रही हैं।

अभिनेत्री कंगना रनौत अपनी एक्टिंग के साथ साथ अपने बेबाक बोलने को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। अब एक बार फिर वह अपने बयान की वजह से हेडलाइन्स बना रही हैं। इस बार उनके बयान की वजह से वो ट्रोल भी जमकर हो रही हैं। कंगना रनौत यह बेबाकी हाल ही में उनके एक बयान में दिखी है। दरअसल हाल ही में कंगना ने इशा फाउंडेशन के लीडर सदगुरु से मिलने पहूंची। और उन दोनों के बीच काफी सारे मुद्दों पर बातचीत होना शुरू हुआ। इसी बीत यह बातचीत विवाद में तब्दील हो गई। क्योंकि कई लोगों ने आरोप लगाया कि कंगना ने लिंचिंग को सही ठहराया और उदारवादियों का भी मज़ाक उड़ाया है।

इस बार फिर से कंगना ने ज्वलंत मुद्दे पर बात करते हुए गोहत्या को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई धर्म गाय की पूजा करता है तो कोई भी और उसे मार कैसे सकता है। अपने इस बयान की वजह से वह हेडलाइन्स में बनी हुईं हैं।

इस विवाद के बाद अब कंगना रनौत ने मिड-डे से बात करते हुए कहा है कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह उन बातों पर अब भी कायम हैं। उन्होंने कहा, “आध्यातमिकता आज की ज़रूरत है। दरअसल आईडिया ये था कि ज़रूरी विषयों पर बातचीत हो। इस देश में लोग कुपोषित हैं। शिक्षा तक उनकी पहुंच नहीं। उनकी बेसिक ज़रूरते भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। मुझे लगता है कि तथा-कथित उदारवादी लोग दुनिया के नज़रिए से ही बंधे हुए हैं।

कंगना से जब पूछा गया कि क्या वह लिंचिंग को सामान्य घटना मानती हैं तो उन्होंने कहा, “हम लिंचिंग को किसी भी तरह से सामान्य नहीं कह रहे हैं। अगर कोई धर्म गाय की पूजा करता है, तो आप गोकशी कैसे कर सकते हैं। मैं शाकाहारी हूं और मैं कच्चा मीट नहीं देख सकती। मैं अपने पसंद को लेकर शर्मिंदा नहीं हो सकती। अगर ये एक भावनात्मक चीज़ है तो लोगों को क्यों भड़काएं।”

कंगना ने यह भी कहा कि कोई भी उदारवादी चोले के पीछे रहकर लोगों की भावनाओं को आहत नहीं कर सकता। कंगना ने आगे कहा, “हमारे जैसे विविधता भरे देश में सभी को लोगों की भावनाओं का खयाल रखना चाहिए।” कंगना ने यह भी कहा कि तथा कथित लिबरल्स का एजेंडा होता है कि वह सरकार के खिलाफ जाए। राष्ट्रगान का विरोध करें। फिर वो कैसे देश के लिए खड़े हो सकते हैं।

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