नारों से नहीं, समाज में बदलाव से आता है राष्ट्रवादः जावेद अख्तर

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[email protected] । Jan 24 2019 10:34AM

जावेद अख्तर ने कहा, ‘‘नहीं, राष्ट्रवाद या देशभक्ति नारेबाजी करने या आपसे असहमत लोगों से नफरत करने के बारे में नहीं बल्कि राष्ट्रवाद और देशभक्ति एक जीवनशैली है। यह समाज के मुद्दों पर गौर करने, बदलाव लाने के बारे में है और समाज में इन छोटे मुद्दों की पड़ताल करके हम भारत माता की सेवा कर सकते हैं।’’

पुणे। जाने-माने पटकथा लेखक एवं गीतकार जावेद अख्तर ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रवाद या देशभक्ति ‘नारेबाजी’ करने या ‘असहमति’ जताने वालों से घृणा करने के बारे में नहीं, बल्कि यह एक जीवनशैली और समाज में बदलाव लाने के बारे में है। वह सिम्बायोसिस इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज द्वारा यहां आयोजित ‘फेस्टिवल ऑफ थिंकर्स’ को संबोधित कर रहे थे। अख्तर ने कार्यक्रम में कहा, ‘‘आज हमने सामाजिक प्रतिबद्धता, असली राष्ट्रवाद जैसी कई चीजों को पीछे छोड़ दिया है--आज हम राष्ट्रवाद, देशभक्ति जैसे शब्द सुनते हैं--आज, भारत राष्ट्रवादियों और राष्ट्र विरोधियों के बीच बंटा हुआ और अगर आप किसी बात पर किसी से असहमत होते हैं तो आप राष्ट्र विरोधी हैं।’’

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उन्होंने कहा कि देशभक्ति या राष्ट्रवाद की नारेबाजी और आपसे असहमत लोगों से घृणा करने के रूप में गलत व्याख्या की गई है। उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, राष्ट्रवाद या देशभक्ति नारेबाजी करने या आपसे असहमत लोगों से नफरत करने के बारे में नहीं बल्कि राष्ट्रवाद और देशभक्ति एक जीवनशैली है। यह समाज के मुद्दों पर गौर करने, बदलाव लाने के बारे में है और समाज में इन छोटे मुद्दों की पड़ताल करके हम भारत माता की सेवा कर सकते हैं।’’

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