''तीन तलाक'' और ''हलाला'' के दर्द ने बना दिया था मीना कुमारी को शराबी

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रेनू तिवारी । Aug 1 2019 12:07PM

मीना कुमारी का जन्म मुंबई में 1 अगस्त, 1932 को हुआ था। उनका असली नाम महजबीं बानो था। मायानगरी के जानकार बताते हैं कि मीना कुमारी का बचपन बहुत ही तंगहाली में गुजरा था।

आग़ाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता 

जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता 

जब ज़ुल्फ़ की कालक में घुल जाए कोई राही 

बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता 

हँस हँस के जवाँ दिल के हम क्यूँ न चुनें टुकड़े

हर शख़्स की क़िस्मत में इनआ'म नहीं होता 

दिल तोड़ दिया उस ने ये कह के निगाहों से

पत्थर से जो टकराए वो जाम नहीं होता....(मीना कुमारी)

ये लाइनें काफी हद तक दमदार अदाकारा मीना कुमारी की जिंदगी की सच्चाई बयां करती है। 90 फिल्मों में अपनी दमदार अदाकारी से सिनेमा में अपना लोहा मनवाने वाली मीना कुमारी को इंडस्ट्री में ट्रेजडी क्वीन के नाम से हर कोई जानता है। कहते है कि मीना कुमारी ने आज तक फिल्मों की शूटिंग के दौरान आंसूओं के लिए उन्होंने कभी भी ग्लिसरीन का इस्तेमान नहीं किया क्योंकि ट्रेजडी क्वीन ने अपनी जिंदगी में इतने दर्द झेले थे जिसे याद करके उनकी आंखों में आंसू अपने आप आ जाते थे। मीना कुमारी को उनकी दमदार अदाकारी ने बॉलीवुड में उन्हें नया नाम भी दिया था वो था- फीमेल गुरु दत्त।

खाने के लिए नहीं होते थे पैसे

मीना कुमारी का जन्म मुंबई में 1 अगस्त, 1932 को हुआ था। उनका असली नाम महजबीं बानो था। मायानगरी के जानकार बताते हैं कि मीना कुमारी का बचपन बहुत ही तंगहाली में गुजरा था। उन्होंने जीवन के दर्द को जिया इसलिए उनकी फिल्मों में कोई भी दुख का दृश्य उनके अभिनय से जीवंत हो उठता था।

जब सिनेमा था मीना कुमारी की अदा का दिवाना

मीना कुमारी को नाम, इज्जत, शोहरत, काबिलियत, रुपया, पैसा सभी कुछ मिला पर सच्चा प्यार नहीं। मीना कुमारी ने अपनी खूबसूरती से करोड़ों लोगों को अपना दीवाना बनाया। बता की खूबसूरत मीना कुमारी के साथ हर कलाकार काम करना चाहता था। इतना ही नहीं उनके ऐसे कई दीवाने भी थे जो उनके इश्क में पागल थे। मीना कुमारी इतनी खूबसूरत थीं कि कई एक्टर्स उनके प्यार में पागल हो गए थे। आलम तो ये था कि अपने जमाने के सुपरस्टार रहे राजकुमार, सेट पर मीना डायलॉग्स बोलती, या एक्टिंग करती, तो राजकुमार एकटक उन्हें देखते, और कई बार अपने डायलॉग्स ही भूल जाते थे।

मीना कुमारी और कमाल अमरोही ने गुपचुप रचाई थी शादी

मीना कुमारी ने अपनी एक्टिंग के दम पर एक ऐसा इतिहास रचा जिसे भुला पाना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं हैं। मीना को असली पहचान साल 1952 में आई फिल्म 'बैजू बावरा' से मिली। मीना कुमारी की मुलाकात 1951 में कमाल अमरोही से हुई थी। उसी दौरान मीना कुमारी के कार का एक्सीडेंट हुआ था, तब कमाल साहब ने मीना कुमारी का बहुत ख्याल रखा था। जिसके कारण दोनों करीब आ गए। साल 1952 में मीना कुमारी और कमाल अमरोही ने गुपचुप तरीके से निकाल कर लिया लेकिन धीरे-धीरे मीना कुमारी और कमाल के बीच दूरियां बढ़ने लगीं और फिर 1964 में मीना कुमारी कमाल से अलग हो गईं।

'तीन तलाक' और 'हलाला' का दर्द झेल चुकी हैं

मीना कुमारी के करीबियों ने बताया था कि मीना ने भी कमाल अमरोही से शादी करने के बाद 'तीन तलाक' और 'हलाला' का दर्द झेला था। एक दिन किसी बात पर अमरोही और मीना कुमारी के बीच किसी बात पर झगड़ा हुआ जिसके बाद कमाल अमरोही ने मीना कुमारी को तीन बार तलाक, तलाक, तलाक बोल दिया था। कमाल अमरोही को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह फिर मीना कुमारी के पास आ गये उन्होंने मीना से मांफी मांगी और एक बार फिर साथ रहने की गुजारिश की। मीना मान गई लेकिन इस्लाम धर्म के मुताबिक कमाल अमरोही मीना से दोबारा शादी नहीं कर सकते थे क्योंकि मीना ने दूसरी शादी नहीं की थी। इस्लाम धर्म के अनुसार गर पति तलाक देने के बाद फिर साथ रहना चाहे तो वह बिना 'हलाला' के नहीं रह सकता। तलाक के दर्द के बाद दोबारा साथ रहने के लिए अब मीना को धर्म के नाम पर किसी और मर्द के साथ हमबिस्तर होना पड़ा था। मीना के 'हलाला' के लिए मीना की शादी अमान उल्‍ला खान (जीनत अमान के पिता) से हुई। फिर अमान उल्‍ला खान के साथ मीना को शारीरिक संबंध बनाने पड़े इसके बाद मीना कुमारी को नये शौहर ने तलाक दिया और फिर कमाल अमरोही ने दोबारा मीना कुमारी से निकाह किया।

धर्म के नाम पर किसी दूसरे के साथ हमबिस्तर होना होता है तो 'मुझमें और वेश्‍या में क्‍या फर्क रहा?'

मीना कुमारी ने अपनी कहानी के दर्द को जब किताब में उतारा तो उन्होंने लिखा कि जब धर्म के नाम पर मुझे अपने जिस्‍म को किसी दूसरे मर्द को सौंपना पड़ा तो फिर मुझमें और वेश्‍या में क्‍या फर्क रहा?' अमरोही के साथ दूसरी शादी की धटना ने मीना को अंदर तक झकझोर कर रख दिया था। मीना मानसिक तनाव ने पहने लगी थी जिसके कारण ही उन्होंने शराब पीना शुरू कर दिया। 

प्यार की हताशा ने शराबी बना दिया.. और मीना ने मौत को चुन लिया

फिल्म ‘पाकीजा’ के रिलीज होने के तीन हफ्ते बाद, मीना कुमारी गंभीर रूप से बीमार हो गईं। 28 मार्च, 1972 को उन्हें सेंट एलिजाबेथ के नर्सिग होम में भर्ती कराया गया। मीना ने 29 मार्च, 1972 को आखिरी बार कमाल अमरोही का नाम लिया, इसके बाद वह कोमा में चली गईं। मीना कुमारी महज 39 साल की उम्र में मतलबी दुनिया को अलविदा कह गई। मौत को पहले ही मीना शायद अपना चुकी थी इसी लिए उन्होंने अपनी शायरी में ये कहा था... 

‘कोई चाहत है न जरूरत है

मौत क्या इतनी खूबसूरत है

मौत की गोद मिल रही हो अगर

जागे रहने की क्या जरुरत है।’ 

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