साल 2017 में बॉक्स ऑफिस में सीक्वल और रीमेक फिल्में छायी रहीं
बॉलीवुड के लिये यह साल रचनात्मकता और बॅाक्स आफिस, दोनों संदर्भो में खराब रहा, क्योंकि बड़े सुपरस्टार फिल्म का पैसा कमाने में नाकाम रहे। दर्शकों को आकर्षित करने वाली कुछ सीक्वेल फिल्में पहले से जांचे परखे फार्मूले पर आधारित रहीं।
नयी दिल्ली। बॉलीवुड के लिये यह साल रचनात्मकता और बॅाक्स आफिस, दोनों संदर्भो में खराब रहा, क्योंकि बड़े सुपरस्टार फिल्म का पैसा कमाने में नाकाम रहे। दर्शकों को आकर्षित करने वाली कुछ सीक्वेल फिल्में पहले से जांचे परखे फार्मूले पर आधारित रहीं। मौलिकता किसी भी रचनात्मक क्षेत्र की जीवनधारा है, लेकिन 2017 एक ऐसा साल साबित हुआ है, जिसे फिल्म निर्माता याद नहीं रखना चाहेंगे। उन्हें बड़े बजट वाली फिल्मों से निराशा हाथ लगी, जैसे सलमान खान की ‘‘टूबलाइट’’ शाहरुख खान की ‘‘जब हैरी मेट सेजल’’ और संजय दत्त की फिल्म ‘भूमि’। युवा कलाकार वरुण धवन ने दर्शकों को आकर्षित किया, लेकिन उनकी फिल्म ‘‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’’ और ‘‘जुड़वां-2’’ या तो किसी फिल्म की सीक्वेल थीं, या किसी सफल फिल्म की नकल थी।
मसाला मनोरंजन के मास्टर रोहित शेट्टी ‘गोलमाल अगेन’ की सफलता से ‘दिलवाले’ के सदमे से उबर गए। अक्षय कुमार ने भी अपने साल की शुरूआत एक सीक्वेल फिल्म ‘‘जॅाली एलएलबी-2’’ से की। हालांकि उनकी फिल्म ‘बेबी’ ज्यादा सफल नहीं रही। उनकी एक अन्य फिल्म ‘‘नाम शबाना’’ भी बाक्स आफिस पर कोई खास प्रदर्शन नहीं कर सकी। विदेशी फिल्मों का ‘रीमेक’ बनाना कोई नया चलन नहीं है, लेकिन अब फिल्म निर्माता निर्देशक इसे स्वीकार करने लगे हैं। वो दिन खत्म हो गए जब उद्योग हॉलीवुड की फिल्मों को बगैर श्रेय दिये ही इस्तेमाल करते हैं।
‘शुभ मंगल सावधान’ ऐसी फिल्म है, जो पुरूषों की यौन क्षमता जैसे विवादास्पद विषय को समेटती है। यह निर्देशक आर एस प्रसन्ना की बनाई तमिल फिल्म का आधिकारिक रूपांतरण है। इसी तरह श्रद्धा कपूर-आदित्य राय कपूर की फिल्म ‘‘ओके जानू’’ मणिरत्नम की तमिल फिल्म ‘ओ कधाल कनमनि’ का आधिकारिक रूपांतरण है। हालांकि हिन्दी में बनी यह फिल्म कुछ ज्यादा अच्छा कारोबार नहीं कर सकी। बिल्कुल इसी तरह सैफ अली खान की फिल्म ‘‘शैफ’’ भी इसी नाम से बनी फिल्म का आधिकारिक रूपांतरण थी। इसे जॉन फावरियू ने बनाया था। मूल फिल्म के विपरीत यह फिल्म बाक्स आफिस पर लोगों की रुचि जगाने में नाकामयाब रही।
हालांकि बालीवुड में पुरानी फिल्मों की नकल करने का चलन नया नहीं है। करण जौहर ने ‘इत्तिफाक’ से जुआं खेला और उन्होंने राजेश खन्ना और नंदा की 1969 मे आई फिल्म को फिर से बना। हालांकि इससे कोई ज्यादा फायदा नुकसान नहीं हुआ। ‘‘कमांडो’’ और ‘‘फुकरे’’ जैसी फिल्मों के भी सीक्वेल बनाये गये, जिसमें ‘‘फुकरे रिटर्न्स’’ तो अपना पैसा वापस लाने में सफल रही, लेकिन ‘‘कमांडो-2’’ बगैर कमाई किये ही डूब गयी। रामगोपाल वर्मा ‘‘रंगीला’, ‘‘सत्या’’ और ‘‘भूत’’ जैसी सफल फिल्मों का अपना दौर लौटाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं लेकिन उनकी सरकार श्रंखला की तीसरी फिल्म वैसी कमाई नहीं कर सकी, क्योंकि इसमें पहले की फिल्मों जैसी गहराई नहीं थी।
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