नशेड़ियों का अड्डा बनी कराची में मेहदी हसन की कब्र
पिछले पांच साल से मेहदी हसन की मजार और उनकी याद में संग्रहालय बनने का इंतजार कर रहे उनके बेटों की उम्मीद ने दम तोड़ दिया है और अब हार कर उन्होंने भारत सरकार से इसके लिये आथर्कि मदद की अपील की है।
नयी दिल्ली। पिछले पांच साल से मेहदी हसन की मजार और उनकी याद में संग्रहालय बनने का इंतजार कर रहे उनके बेटों की उम्मीद ने दम तोड़ दिया है और अब हार कर उन्होंने भारत सरकार से इसके लिये आथर्कि मदद की अपील की है। शहंशाह ए गजल मेहदी हसन का जन्म राजस्थान के झुंझनू जिले के लूना गांव 1927 में हुआ था लेकिन विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान जा बसा था। वहीं लंबी बीमारी से जूझने के बाद कराची के आगा खान अस्पताल में उन्होंने 13 जून 2012 को अंतिम सांस ली। उनके इंतकाल के बाद पाकिस्तान में सिंध प्रांत की सरकार और पाकिस्तान सरकार ने उनकी याद में मजार और संग्रहालय बनाने का वादा किया था लेकिन अभी तक पूरा नहीं किया। हसन के बेटे आरिफ मेहदी ने कहा, 'अब्बा के इंतकाल के बाद सिंध सरकार और पाकिस्तान सरकार ने वादा किया था कि एक साल के भीतर मजार बनायेंगे लेकिन अभी तक सिर्फ कब्र के पास बाउंड्री बनी है। आसपास गटर का पानी भरा है और बच्चे यहां क्रिकेट खेलते हैं। लोगों ने बकरियां पाल रखी है और यह जगह नशेड़ियों का अड्डा बन गई है।' उन्होंने कहा, 'हमने पांच साल इंतजार किया और तमाम दफ्तरों की खाक छानी। अब हम थक गए हैं और भारत सरकार से अपील करते हैं कि उनकी मजार बनाने में आर्थिक मदद करे चूंकि हसन साब की पैदाइश भारत की है और उनके वहां बड़े मुरीद हैं।' मेहदी हसन के करीबी रहे आर्टिस्ट बुकिंग डाटकाम के संस्थापक मनमीत सिंह ने कहा कि कई भारतीय कलाकार भी इसमें मदद करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा, 'चूंकि पाकिस्तान सरकार ने मजार और संग्रहालय बनाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया तो हम मेहदी हसन साब के परिवार की मदद को तैयार हैं। मैने कई कलाकारों जैसे हरिहरन, हंसराज हंस, तलत अजीज से बात की है जो मदद के लिये तत्पर हैं। हम लोग पांच साल पहले उनकी तेरहवीं पर भी कराची गए थे और लगातार उनके परिवार से संपर्क में हैं।'
वहीं अमेरिका में बसे उनके छोटे बेटे और गजल गायक कामरान मेहदी ने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेहदी हसन के पैतृक स्थान पर कन्सर्ट के आयोजन में मदद की अपील की है। कामरान मेहदी ने शिकागो से भाषा से बातचीत में कहा, 'चूंकि अब्बा की पैदाइश भारत की थी तो वहां उनके मुरीदों की कमी नहीं है। मैं भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी से गुजारिश करना चाहता हूं कि वे उनकी (मेहदी हसन) की याद में लूना में कोई संगीत कन्सर्ट आयोजित करे जिसमें हम उनको श्रृद्वांजलि देने के लिये उनकी मशहूर गजलें गायेंगे। यह न सिर्फ संगीत जगत को उनके योगदान को सलाम होगा बल्कि उनके चाहने वालों की मुराद भी इससे पूरी होगी।' मेहदी हसन की बीमारी के दौरान आरिफ अक्सर उनके साथ भारत आते रहे हैं लेकिन कामरान आखिरी बार 2005 में यहां आये थे क्योंकि तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें वीजा नहीं मिल पा रहा। उन्होंने कहा, 'अमेरिकी पासपोर्ट होने के कारण पिछले साल भी मैने शिकागो में महा वाणिज्यदूत से बात कर आवेदन किया था लेकिन बाद में वीजा अधिकारी ने कहा कि उन्हें गृह मंत्रालय से क्लीयरेंस नहीं मिली। मुझे समझ ही नहीं आता कि दिक्कत कहां हो रही है। मैं भारतीय प्रधानमंत्री से गुजारिश करना चाहूंगा कि संगीत के लिये और अब्बा के लिये इस मामले में दखल देकर वीजा दिलाने में मदद करे ताकि हम उनके संगीत को लेकर उनकी पैदाइश के वतन आ सकें।' मेहदी हसन ने अपने आखिरी दिनों में भारत आने की इच्छा भी जताई थी लेकिन बीमारी के कारण वह इच्छा अधूरी रह गई।
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