लॉकडाउन: दो करोड़ निर्माण श्रमिकों को मिली करीब 5,000 करोड़ की नकद मदद

दो करोड़ निर्माण श्रमिकों

श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘एक उल्लेखनीय कदम के रूप में, राज्य सरकारों ने मंत्रालय के 24 मार्च 2020 को जारी एक परामर्श के आधार पर लॉकडाउन के दौरान देश भर के लगभग दो करोड़ पंजीकृत भवन एवं अन्य निर्माण मजदूरों को आज की तारीख तक 4957 करोड़ रुपये की नकदी सहायता मुहैया करायी।’’

नयी दिल्ली। श्रम और रोजगार मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान दो करोड़ भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों को 4,957 करोड़ रुपये की नकदी सहायता मुहैया करायी गयी। श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘एक उल्लेखनीय कदम के रूप में, राज्य सरकारों ने मंत्रालय के 24 मार्च 2020 को जारी एक परामर्श के आधार पर लॉकडाउन के दौरान देश भर के लगभग दो करोड़ पंजीकृत भवन एवं अन्य निर्माण मजदूरों को आज की तारीख तक 4957 करोड़ रुपये की नकदी सहायता मुहैया करायी।’’

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बयान के मुताबिक इस प्रक्रिया में करीब 1.75 करोड़ लेनेदेन प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये सीधे श्रमिकों के बैंक खातों में किए गए। लॉकडाउन के दौरान प्रति श्रमिक 1,00 से 6,000 रुपये की नकद मदद के अलावा कुछ राज्यों ने अपने यहां मजदूरों को भोजन तथा राशन भी उपलब्ध कराया। श्रम मंत्रालय निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए सभी राज्य सरकारों और राज्य कल्याण बोर्ड के बीच समन्वय करने वाला नोडल केंद्रीय मंत्रालय है। मंत्रालय ने कहा कि मजदूरों को सबसे अधिक जरूरत के वक्त समय से नकद सहायता पहुंचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गयी। देश के असंगठित क्षेत्र के मजदूरों में भवन और अन्य निर्माण श्रमिक (बीओसीडब्ल्यू) सर्वाधिक निर्बल वर्ग है। इनमें से एक बड़ी संख्या अपने गृह राज्यों से दूर अलग अलग राज्यों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर हैं। वे राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका अदा करते हैं, फिर भी वे खुद को समाज के हाशिये पर पाते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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