व्यक्तियों पर 5160 करोड़, कारपोरेट क्षेत्र पर 6120 करोड़ बकाया
सरकार ने आज बताया कि पिछले चार वर्षों में लोगों पर सरकारी क्षेत्र के बैंकों का 5160 करोड़ रूपये जबकि निजी कारपोरेट क्षेत्र पर लगभग 6120 करोड़ रूपये बकाया हैं।
विजय माल्या से जुड़े बैंकों के कर्ज विवाद के बीच सरकार ने आज बताया कि पिछले चार वर्षों में लोगों पर सरकारी क्षेत्र के बैंकों का 5160 करोड़ रूपये जबकि निजी कारपोरेट क्षेत्र पर लगभग 6120 करोड़ रूपये बकाया हैं। लोकसभा में शिव कुमार उदासी के प्रश्न के लिखित उत्तर में आज वित्तराज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने यह जानकारी दी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2012 से 2015 के बीच चार वर्ष की अवधि में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का औद्योगिक क्षेत्र पर 7729 करोड़ रूपये बकाया है।
वित्त राज्य मंत्री द्वारा दिये गये जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के हवाले से बताया गया है कि 2012 में सरकारी क्षेत्र के बैंकों का व्यक्तियों पर करीब 862 करोड़ रूपये, 2013 में 1390 करोड़ रूपये, 2014 में 1436 करोड़ रूपये और 2015 में 1471 करोड़ रूपये बकाया रहा। इसी प्रकार से, 2012 में सरकारी क्षेत्र के बैंकों का औद्योगिक क्षेत्र पर करीब 1580 करोड़ रूपये, 2013 में 1842 करोड़ रूपये, 2014 में करीब 2096 करोड़ रूपये तथा 2015 में करीब 2210 करोड़ रूपये बकाया रहा। 2012 में सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का निजी कारपोरेट क्षेत्र पर करीब 1251 करोड़ रूपये, 2013 में करीब 1374 करोड़ रूपये, 2014 में 1638 करोड़ रूपये और 2015 में 1852 करोड़ रूपये बकाया था। गंगवार ने कहा कि सरकार ने अधिक गैर निष्पादित आस्तियों वाले अवसंरचना (विद्युत, सड़क आदि), इस्पात, वस्त्र जैसे क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान के लिए विशिष्ट उपाये किये हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र के अशोध्य ऋणों की वसूली में तेजी लाने के लिए मौजूदा 33 ऋण वसूली अधिकरणों के अलावा 6 नये डीआरटी स्थापित करने को भी मंजूरी प्रदान कर दी है।
वित्त राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि बैंकों से जुड़ी गैर निष्पादित आस्तियों के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक ने भी कई कदम उठाये हैं जिनमें प्रणाली में दबावग्रस्त आस्तियों के पुनर्सुदृढ़ीकरण के लिए संयुक्त उधारदाता मंच, अवसंरचना तथा मूलभूत उद्योगों को दीर्घावधिक परियोजना ऋण की लचीली संरचना, कार्यनीतिक ऋण पुनर्संरचना, दबावग्रस्त अस्तियों के पोषण संबंधी योजनाएं शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने हाल ही में सरफासी अधिनियम, भारतीय संविदा अधिनियम और आरडीडीबी एवं एफआई अधिनियम की संगत धाराओं के अंतर्गत उधारकर्ताओं द्वारा चूक की स्थिति में गारंटीकर्ताओं के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए बैंकों को चेतावनी जारी की है क्योंकि चूक की स्थिति में गारंटीकर्ता का दायित्व उधारकर्ता के समान है।
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