मत्स्य पालन से 9.40 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे: कृषि मंत्री राधामोहन सिंह

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[email protected] । Nov 23 2018 11:25AM

एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार कृषि मंत्री ने कहा कि मत्स्य पालन एवं जल कृषि आधारभूत संरचना विकास निधि से मत्स्य पालन तथा संबंधित गतिविधियों में 9.40 लाख मछुआरों और उद्यमियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

नयी दिल्ली। केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने वृहस्पतिवार को कहा कि मत्स्यपालन के क्षेत्र के विकास के लिए स्थापित 7,522 करोड़ रुपये का बुनियादी ढांचा विकास कोष (एफआईडीएफ) से देश में मत्स्य पालन तथा संबंधित गतिविधियों में 9.40 लाख मछुआरों और उद्यमियों के रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कृषि मंत्री सिंह पटना में ‘विश्व मात्स्यिकी दिवस’ पर आयोजित एक कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। यह विश्व मात्स्यिकी दिवस का पांचवा संस्करण है। इस बार ‘विश्व मात्स्यिकी दिवस’ समारोह की थीम - “नीली क्रांति मिशन - आधुनिक तकनीकियों के प्रयोग से व्यावसायिक मत्स्य उत्पादन की ओर” रखी गयी है।

एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार कृषि मंत्री ने कहा कि मत्स्य पालन एवं जल कृषि आधारभूत संरचना विकास निधि से मत्स्य पालन तथा संबंधित गतिविधियों में 9.40 लाख मछुआरों और उद्यमियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कृषिमंत्री ने कहा कि “नीली क्रांति” मिशन का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय को दुगुना करना है। इस मिशन में शामिल योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु सरकार द्वारा पिछले 4.5 वर्षों मे कुल 1915.33 करोड़ रुपये आवंटित किये गये।सिंह ने बताया कि जलकृषि के अंतर्गत लगभग 29,128 हैक्‍टेयर क्षेत्रफल विकसित किया गया, जिससे अधिक से अधिक मत्स्यपालक किसान लाभान्वित हुए। 7,441 पारंपरिक मछली पकड़ने वाले नौकाओं को मोटर चालित नौकाओं में परिवर्तित किया गया। मात्स्यिकी और जल-कृषि में बुनियादी ढाँचे के विकास (एफ.आई.डी.एफ.) हेतु 7,522 करोड़ रुपये की निधि का सृजन किया गया। 

यह निधि 9.40 लाख मछुआरों / मत्स्य किसानों और अन्य उद्यमियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा। मत्स्यपालन क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाएगा।कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के तत्वावधान में किया गया था।उन्होंने बताया की एफ.आई.डी.एफ. समुद्री और अंतर्देशीय मात्स्यिकी क्षेत्रों में मत्स्य पालन आधारभूत संरचना सुविधाओं को विकसित करके वर्ष 2020 तक 1.5 करोड़ टन का मत्स्य उत्पादन लक्ष्य हासिल करने में मदद करेगा। इसके अलावा, एफ.आई.डी.एफ. के द्वारा 8 से 9 प्रतिशत की सतत वृद्धि को हासिल करके वर्ष 2022-23 तक दो करोड़ टन मत्स्य उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा।केन्द्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि बिहार राज्य को मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास के लिए वर्ष 2009-10 से 2013-14 के दौरान 4.95 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता दी गयी थी, जबकि वर्तमान सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 से 2018-19 के दौरान केन्द्रीय सहायता 64.32 करोड़ रुपये जारी किये गये। इसके अतिरिक्त बिहार को आवंटित प्रधानमन्त्री विशेष पैकेज के तहत मात्स्यिकी सेक्टर को 279.55 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गयी जिसके तहत केन्द्रीय अंश की पहली क़िस्त 40.79 करोड़ रुपये जारी कर दिये गये हैं।

इस अवसर पर कृषि मंत्री ने नीली क्रांति मिशन में शामिल ‘मछली परिवहन योजना’ के अंतर्गत चयनित लाभार्थियों में से 50 लाभार्थियों को मोटरसाइकिलों की चाबियाँ सौंपी। इस अवसर पर देशभर से लगभग 1000 मत्स्य किसान, मछुआरों, राज्यों के मात्स्यिकी अधिकारी, प्रसार अधिकारी, वैज्ञानिक, उद्यमियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।देश में मछली के उपभोग को अधिक लोकप्रिय बनाने और मछली के स्वास्थ्य लाभों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए मत्स्योत्सव का आयोजन किया गया। विभिन्न सरकारी संगठनों, अनुसंधान संस्थानों, एन.जी.ओ. और उद्यमियों के लगभग 40 प्रदर्शकों ने प्रदर्शनी में भाग लिया। कार्यक्रम में कई फिश फुड स्टालों में विभिन्न मछली व्यंजन उपलब्ध थे।

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