दिवाली से पहले अमूल ने दिया महंगाई का एक और झटका, दूध की कीमतों में इतने रुपए की वृद्धि

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ANI
अंकित सिंह । Oct 15 2022 12:20PM

दूध की कीमतों में वृद्धि आम लोगों के बजट को बिगाड़ सकता है। आपको बता दें कि देश में अभी भी खुदरा महंगाई दर 7 फ़ीसदी के आसपास बना हुआ है। हाल में ही अमूल नहीं अपने दूध के दाम में बढ़ोतरी की थी। अगस्त महीने में भी अमूल की ओर से दूध के दाम बढ़ाए गए थे।

देश दीवाली की तैयारियां कर रहा है। दिवाली को लेकर देश में खरीदारी बढ़ जाती है। इसके अलावा मिठाइयों का भी आदान-प्रदान खूप होता है। इन सबके बीच अमूल डेयरी ने दिवाली से ठीक पहले महंगाई का एक बड़ा झटका दिया है। दरअसल, अमूल की ओर से दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि कर दी गई है। जो फुल क्रीम दूध 61 रुपये प्रति लीटर मिलता था अब वह 63 रुपये प्रति लीटर हो गया है। दूध की कीमतों में वृद्धि आम लोगों के बजट को बिगाड़ सकता है। आपको बता दें कि देश में अभी भी खुदरा महंगाई दर 7 फ़ीसदी के आसपास बना हुआ है। हाल में ही अमूल नहीं अपने दूध के दाम में बढ़ोतरी की थी। अगस्त महीने में भी अमूल की ओर से दूध के दाम बढ़ाए गए थे। 

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अगस्त ठीक 2 महीने बाद एक बार फिर से अमूल की ओर से दूध के दाम बढ़ा दिए गए हैं। अमूल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश के कुछ हिस्सों में अमूल गोल्ड और भैंस के दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है। इसकी वजह दूध के फैट की कीमतों में वृद्धि है। हालांकि, राहत की बात गुजरात के लिए है वहां दूध की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की गई है। अगस्त में जब 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गया था तब कंपनी की ओर से कहा गया था कि का ऑपरेशन और प्रोडक्शन में लागत बढ़ी है। कंपनी का दावा था कि पिछले वर्ष की तुलना में अकेले पशु आहार की लागत लगभग 20% तक बढ़ गई है। इससे पहले मार्च में भी कंपनी की ओर से दूध की कीमतों में वृद्धि की गई थी। 

मुद्रास्फीति घटकर 10.7 प्रतिशत पर

विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में नरमी, खाद्य वस्तुओं और ईंधन के दाम में कमी आने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) सितंबर में लगातार चौथे महीने घटकर 10.7 प्रतिशत पर आ गई। यह 18 महीने का सबसे निचला स्तर है। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने यानी अगस्त में 12.41 प्रतिशत के स्तर पर थी। यह पिछले साल सितंबर में 11.80 प्रतिशत थी। डब्ल्यूपीआई इस वर्ष मई में 15.88 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गई थी। डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति में लगातार चौथे महीने गिरावट का रुख देखने को मिला है। 

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