कम ऊर्जा खपत वाले ऐप के निर्माण में भी मददगार है कृत्रिम मेधा
वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कृत्रिम मेधा (एआई) उपकरण तैयार किया है जो डेवलपर्स को स्मार्ट फोन के लिए ऐसे ऐप बनाने में मदद करेगा जो कम बैटरी खाएंगे। इन वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है।
वॉशिंगटन। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कृत्रिम मेधा (एआई) उपकरण तैयार किया है जो डेवलपर्स को स्मार्ट फोन के लिए ऐसे ऐप बनाने में मदद करेगा जो कम बैटरी खाएंगे। इन वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है। अमेरिका के प्रूड्यू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने जो उपकरण तैयार किया है उसका नाम है ‘‘डिफप्रोफ’’। यह टूल डेवलेपर्स के लिये तत्काल यह निर्णय लेगा कि क्या किसी ऐप की ऊर्जा दक्षता में सुधार की गुंजाइश है।
आमतौर पर कोई कोड दो अलग अलग ऐप पर अलग-अलग तरीके से चलता है फिर भले ही डेवलपर्स एक जैसा काम कर रहे हों। डिफप्रोफ इसी अंतर को ‘‘कॉल ट्रीज’’ में पकड़ता है। जिससे यह पता चलता है कि एक ऐप का मैसेजिंग फीचर दूसरे के मुकाबले ज्यादा ऊर्जा क्यों लेता है। इसके बाद यह बताता है कि बैटरी की कम खपत के लिए ऐप को दोबारा कैसे बनाया जाए। विश्वविद्यालय के पूर्व शोधार्थी अभिलाष जिंदल कहते हैं कि इस तकनीक के जरिए पूरे स्मार्टफोन में बदलाव लाने के लिए डेवलपर्स को अपने एप को और ऊर्जा दक्ष बनाना होगा।
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