बैंक यूनियन ने की मांग, कर्ज की वसूली के लिए अधिक कड़े नियम लागू किये जाएं

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बजट से पहले अपनी सिफारिशों में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने कहा है कि फंसे हुए कर्ज की वसूली में मदद के लिए ऋण भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों के निदेशकों की निजी संपत्ति जब्त करने से जुड़े प्रावधान वाले कानून को लागू करना चाहिए।

मुंबई। बैंकों के यूनियनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कर्ज जमा करने में चूक करने वाली कंपनियों से वसूली के लिए कड़े नियम बनाने की मांग की है। उन्होंने कर्ज की वसूली के लिए ऐसी कंपनियों के निदेशकों की निजी संपत्ति भी कुर्क करने का प्रावधान रखने की बात कही है। सीतारमण पांच जुलाई को वित्त वर्ष 2019-20 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। वह देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री हैं।

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बजट से पहले अपनी सिफारिशों में अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने कहा है कि फंसे हुए कर्ज की वसूली में मदद के लिए ऋण भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों के निदेशकों की निजी संपत्ति जब्त करने से जुड़े प्रावधान वाले कानून को लागू करना चाहिए। यूनियन ने वित्त मंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा है कि फंसे हुए कर्ज को निकालने के लिए त्वरित अदालतों को अधिक शक्तियां प्रदान की जानी चाहिए तथा कड़े कानून लागू किए जाने चाहिए। उसने संपत्ति का पुनर्गठन करने वाली कंपनियों को बंद करने की भी मांग की।

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पत्र में कहा गया है कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) से कर्ज भुगतान में चूक करने वालों को आसानी से बच निकलने में मदद मिल रही है क्योंकि बैंकों को बहुत अधिक धन छोड़ना पड़ रहा है। उसमें कहा गया है कि आईबीसी में फंसे हुए कर्ज की वसूली के जगह निपटान की बात है। ऐसे में समाधान प्रक्रिया की बजाय वसूली तंत्र को मजबूत बनाया जाना चाहिए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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