राजस्व बढ़ने पर 12-18% की GST दर की जगह बीच की दर रखी जाएगी : जेटली
जेटली ने कहा कि आने वाले समय में भारत में सामान्य इस्तेमाल की वस्तुओं के लिये के लिए अंतत: एक मानक दर होगी जो वर्तमान 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो मानक दरों के बीच की होगी।
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजस्व में वृद्धि के साथ माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों को और अधिक तर्क-संगत बनाने के संकेत दिये हैं। उन्होंने सोमवार को कहा कि आने वाले समय में राजस्व वसूली बढ़ने पर मौजूदा 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो मानक दरों को मिलाकर एक दर लागू की जा सकती है जो इनके बीच की होगी।
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जेटली ने सोशल मीडिया वेबसाइट फेसबुक पर ‘जीएसटी के 18 महीने’ शीर्षक से लिखे ब्लॉग में जीएसटी रुपांतरण से पहले देश पर 31 प्रतिशत की ऊंची दर से अप्रत्यक्ष कर का भारी बोझ डाले रखने के लिए कांग्रेस की आलोचना की और कहा कि इससे देश में कर-चोरी का बोलबाला था। उन्होंने जीएसटी का माखौल उड़ाने वालों को आत्मनिरीक्षण करने को कहा।
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जेटली ने कहा कि आने वाले समय में भारत में सामान्य इस्तेमाल की वस्तुओं के लिये के लिए अंतत: एक मानक दर होगी जो वर्तमान 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो मानक दरों के बीच की होगी। इसके साथ आवश्यक वस्तुओं के लिये शून्य प्रतिशत और पांच प्रतिशत की मौजूदा दरें बनी रहेंगी। विलासिता के सामान और अहितकर वस्तुओं को उच्चतम कर के दायरे में बनाए रखा जाएगा।
States were charging an entertainment tax from 35% to 110%. This came down radically. 235 items were being charged at either 31% tax or even higher. All except 10 such items were brought down immediately to 28%. The 10 such items were brought down to even a lower rate i.e.18%.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 24, 2018
वित्त मंत्री ने कहा कि इस समय उपयोग की कुल 1,216 वस्तुओं में से 183 पर शून्य प्रतिशत, 308 पर पांच प्रतिशत, 178 उत्पादों पर 12 प्रतिशत और 517 पर 18 की दर से जीएसटी लगता है। उन्होंने कहा, "28 प्रतिशत की दर अब धीरे धीरे खत्म हो रही है। अभी इसमें लग्जरी एवं अहितकारी उत्पादों, वाहनों के कलपुर्जे, वातानुकूलन और सीमेंट समेत केवल 28 वस्तुएं ही बची हैं।’’
India probably had the worst indirect tax system anywhere in the world. Both the Centre and the State Governments were entitled to levy a set of taxes. There were 17 taxes levied. An entrepreneur, therefore, faced seventeen inspectors, seventeen returns and seventeen assessments
— Arun Jaitley (@arunjaitley) December 24, 2018
वित्त मंत्री ने कहा, "जीएसटी बदलाव के पूरा होने के साथ ही हम इसकी दरों को तर्कसंगत बनाने के पहले चरण को पाने के करीब हैं। उदाहरण के लिये विलासिता और अहितकारी वस्तुओं को छोड़कर बाकी वस्तुएं चरणबद्ध तरीके से 28 प्रतिशत के उच्चतम कर के दायरे से बाहर की जा रही हैं। "उन्होंने कहा कि इस समय 12 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो मानक दरें है जिन्हें भविष्य में एक किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक ऐसी दर होगी जो इन दोनों के बीच में कहीं होगी। निश्चित तौर पर इसमें उस समय तक इंतजार करना होगा जब तक कि कर संग्रह ठीक-ठाक बढ़ न जाए। देश में ऐसा जीएसटी होना चाहिये जिसमें शून्य और पांच प्रतिशत के अलावा एकल मानक दर हो तथा सिर्फ लग्जरी एवं अहितकर वस्तुएं ही इसके लिये अपवाद हों।’’उन्होंने कहा कि अब 28 प्रतिशत के दायरे में व्यापक उपभोग की केवल दो वस्तुएं सीमेंट और वाहन कलपुर्जे ही हैं। हमारी अगली प्राथमिकता सीमेंट को कम कर-दर के दायरे में ले जाने की होगी।
जेटली ने कहा, ‘‘भवन निर्माण की अन्य सभी वस्तुओं को 28 प्रतिशत के दायरे से हटाकर 12 प्रतिशत या 18 प्रतिशत के दायरे में लाया जा चुका है। 28 प्रतिशत का स्लैब का धीरे धीरे अवसान हो रहा है।’’उन्होंने जीएसटी की आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह की आलोचनाएं गलत जानकारी या खास मानसिकता से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि नयी व्यवस्था से दरें कम हुई हैं, महंगाई घटी है और करचोरी भी कम हुई हैं। उन्होंने कहा , ‘‘ जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने का एक बड़ा काम हो चुका है। कर दरों का स्तर निम्न होने, कराधार बढ़ने, संग्रह ऊंचा होने , व्यापार में सुगमता और आकलन में कम से कम दखल कम होने से आने वाले वर्षों में (राजस्व) वृद्धि दर बढ़ेगी।’’
जेटली ने कहा कि जीएसटी लागू होने से पहले अधिकतर वस्तुओं पर 31 प्रतिशत का कर लगता था। लोगों के पास केवल दो ही विकल्प थे- या तो ज्यादा कर का भुगतान करें या फिर कर चोरी। उन्होंने कहा कि उस समय काफी हद तक कर चोरी का बोलबाला था।
उन्होंने जीएसटी के मामले में सरकार के आलोचकों पर तंज कसते हुए किहा, ‘‘ जिन लोगों ने भारत को 31 प्रतिशत अप्रत्यक्ष कर के बोझ के नीचे दबाकर रखा था और जो जीएसटी का उपहास करते रहे हैं उन्हें अपने अंदर झांकना चाहिए। गैर जिम्मेदाराना राजनीति और गैर जिम्मेदाराना अर्थ-नीति दोनों केवल रसातल में ही ले जाती हैं।’’उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद ने शनिवार को 23 वस्तुओं पर कर की दरों में कटौती की थी।
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