बिहार में जीई की डीजल लोकोमोटिव निर्माण पर CAG ने उठाए सवाल

CAG questions need for GE's diesel locomotive manufacturing unit in Bihar
[email protected] । Jul 21 2018 5:49PM

बिहार के मढ़ौरा में अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक की डीजल लोकोमोटिव (इंजन) निर्माण इकाई पर सवाल उठाते हुए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि यह परियोजना ‘‘रेलवे की समग्र रणनीतिक दृष्टि के अनुरूप’’ नहीं है।

नयी दिल्ली। बिहार के मढ़ौरा में अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक की डीजल लोकोमोटिव (इंजन) निर्माण इकाई पर सवाल उठाते हुए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि यह परियोजना ‘‘रेलवे की समग्र रणनीतिक दृष्टि के अनुरूप’’ नहीं है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस समझौते के तहत खरीदे गए डीजल लोकोमोटिव की भविष्य में भारतीय रेलवे के नेटवर्क में लाभदायक इस्तेमाल के लिहाज से कोई उपयोगिता नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया कि रेलवे ने खुद ही वाराणसी में डीजल लोकोमोटिव के आंतरिक उत्पादन में 2019-20 से कमी लाने का फैसला किया था। डीजल लोकोमोटिव के उत्पादन के लिए नए ढांचे की स्थापना और इस पर 171.26 अरब रुपए खर्च करना रेलवे की रणनीतिक दृष्टि के अनुरूप नहीं है।

रेलवे ने मढ़ौरा में इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव सितंबर 2006 में किया था और जीई ग्लोबल सोर्सिंग इंडिया को नवंबर 2015 में इसका अनुबंध दिया गया था। सीएजी ने कहा , ‘‘ चूंकि काफी लंबा समय गुजर चुका था , इसलिए अनुबंध दिए जाने से पहले नई डीजल लोकोमोटिव निर्माण इकाई की स्थापना की जरूरत पर फिर से विचार करने की जरूरत थी। ऑडिट विश्लेषण में पाया गया रेलवे के पास उपलब्ध डीजल लोकोमोटिव की संख्या पर्याप्त है। केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार आने के बाद विद्युतीकरण रेलवे का प्रमुख लक्ष्य रहा है। रेलवे ने अपनी ब्राड गेज लाइनों को पूरी तरह बिजली चालित बनाने के लिए 2021 की समयसीमा तय की है।

समर्पित मालभाड़ा गलियारों में मालगाड़ियों को भी बिजली से चलाने की योजना है। अभी करीब 42 फीसदी पटरियां विद्युतीकृत हैं। इससे डीजल चालित ट्रेनें सिर्फ उन्हीं रेल मार्गों पर चलेंगी जहां यातायात कम है। लेकिन इसके लिए उच्च क्षमता वाले डीजल लोकोमोटिव की जरूरत पड़ने की संभावना कम है। सीएजी ने रिपोर्ट में कहा , ‘‘ रेलवे ने करीब 10 साल में 1,000 डीजल लोकोमोटिव निर्मित करने का अनुबंध जीई को 2015 में दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘भारतीय रेलवे में उच्च क्षमता वाले डीजल लोकोमोटिव की जरूरत आने वाले सालों में कम होने जा रही है। इस समझौते के तहत खरीदे जाने वाले डीजल लोकोमोटिव की भविष्य में भारतीय रेलवे नेटवर्क में लाभदायक इस्तेमाल के लिहाज से कोई उपयोगिता नहीं होगी। 

सीएजी ने भारतीय रेलवे की पार्किंग प्रणाली की भी आलोचना करते हुए कहा कि रेलवे ने कई मामलों में समझौतों पर अमल नहीं किया और कुछ जगहों पर समझौते ही नहीं किए। सीएजी ने कहा कि ठेकेदार पार्किंग की जगहों का प्रबंधन गैर- पेशेवर तरीके से करते हैं और रेलवे यह सुनिश्वित करने में नाकाम रहा है कि ठेकेदार समझौतों के हिसाब से सेवा मुहैया कराएं और ठेकेदारों से बकाया राशि वसूली जाए। रिपोर्ट में वाणिज्यिक भूखंडों को लेकर भूमि प्रबंधन की कमी पर भी सवाल उठाए गए हैं। रेलवे में वाणिज्यिक विभाग पर इनकी देखरेख का जिम्मा है।

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