पहले से बदला whatsapp का डिजाइन, दिखने लगा फेसबुक का नया नाम मेटा
दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग कंपनी फेसबुक ने अपना नाम और लोगो बदलने का फैसला किया है जिसके चलते आप देख सकते हैं कि फेसबुक ब्रैंड का नाम अब meta हो गया है। दरअसल ये नाम सिर्फ पैरेंट कंपनी का ही होगा और बाकी कंपनी पहले के नाम पर रहेंगी। लेकिन ऐसा कहा जा सकता है कि कंपनी के बदलाव का असर बाकी कंपनियों पर भी थोड़ा बहुत पड़ सकता है।
नयी दिल्ली। अगर ऐसा कहा जाए की दुनिया की सबसे प्रसिद्ध और बड़ी नेटवर्किंग कंपनी फेसबुक है तो ये कहना गलत नहीं होगा। दरअसल दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग कंपनी फेसबुक ने अपना नाम और लोगो बदलने का फैसला किया है जिसके चलते आप देख सकते हैं कि फेसबुक ब्रैंड का नाम अब meta हो गया है। दरअसल ये नाम सिर्फ पैरेंट कंपनी का ही होगा और बाकी कंपनी पहले के नाम पर रहेंगी। लेकिन ऐसा कहा जा सकता है कि कंपनी के बदलाव का असर बाकी कंपनियों पर भी थोड़ा बहुत पड़ सकता है। लेकिन इसकी शुरूआत वॉट्सऐप से हो गई है, नए नाम के चलते whatsapp ने भी एक छोटा सा बदलाव करना पड़ रहा है।
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Meta नाम की हुई शुरूआत
आपको बता दें कि हिन्दुस्तान खबर के अनुसार, पॉप्युलर मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप को स्टार्ट करते समय यूजर्स को स्क्रीन पर ‘WhatsApp from Facebook’ लिखा दिखता था। यह अब बदल गया है। अब यूजर्स को नई लाइन WhatsApp by Meta दिखाई देगा। फिलहाल अभी ये सभी व्हाट्सएप यूजर्स के लिए जारी नहीं किया गया है। WABetaInfo की रिपोर्ट के मुताबिक, इसे व्हाट्सएप के बीटा वर्जन पर लाया गया है, जो जल्द ही स्टेबल वर्जन पर भी आ जाएगा।
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लोगो और नाम को बदलने की वजह
फेलबुक ने नाम और लोगो बदलने के कारण पर आप ध्यान दे सकते हैं कि Meta शब्द Metaverse से लिया गया है। मेटावर्स के जरिए लोग वर्चुअल रियलिटी हेडसेट का उपयोग करके एक आभासी दुनिया में मिल सकते हैं, काम कर सकते हैं और खेल सकते हैं। Metaverse एक वर्चुअल कंप्यूटर-जनरेटेड स्पेस है और दुनियाभर की तकनीकी कंपनियां इस वक्त मेटावर्स में ही भविष्य खोज रही हैं। बता दें कि फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने जुलाई में अर्निंग कॉल में कहा था कि कंपनी का भविष्य 'मेटावर्स' में है।
विशेषज्ञों का क्या कहना
फेसबुक के बदले नाम के बाद इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि यह भविष्य का इंटरनेट हो सकता है, जिसमें वर्चुअल रिएलिटी और अन्य तकनीकों की मिश्रण कर संवाद यानी एक दूसरे से बातचीत एक अलग स्तर पर पहुंच जाएगी। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, वैसे कुछ विशेषज्ञ इसे लेकर चिंतित भी हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इस तकनीक के जरिए इतना निजी डेटा टेक कंपनियों तक पहुंच जाएगा कि निजता की सीमा पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
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