घरेलू निवेशकों का वाणिज्यिक रीयल्टी क्षेत्र में पूंजी निवेश 92% बढ़ा

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संपत्ति के बारे में परामर्श देने वाली वैश्विक कंपनी नाइट फ्रैंक ने कहा कि निवेशकों ने अपना रिटर्न बढ़ाने और जोखिम को कम करने के लिये अलग-अलग क्षेत्रों में निवेश के लिये वैश्विक बाजारों का उपयोग किया।

नयी दिल्ली। भारतीय निवेशकों का विदेशों में वाणिज्यिक रीयल एस्टेट में पूंजी निवेश 2018 की पहली तिमाही और 2019 की पहली तिमाही के बीच 92 प्रतिशत बढ़कर 70 करोड़ डालर (करीब 4,893 करोड़ रुपये) रहा। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। संपत्ति के बारे में परामर्श देने वाली वैश्विक कंपनी नाइट फ्रैंक ने कहा कि निवेशकों ने अपना रिटर्न बढ़ाने और जोखिम को कम करने के लिये अलग-अलग क्षेत्रों में निवेश के लिये वैश्विक बाजारों का उपयोग किया। भारतीय पूंजी निवेश के लिये ब्रिटेन, नीदरलैंड, जर्मनी, अमेरिका और आस्ट्रेलिया शीर्ष निवेश गंतव्य रहे।

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नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि भू-राजनीतिक कारकों के साथ दीर्घकालीन निवेश चक्र और दीर्घकालीन निवेश चक्र में ब्याज दर को देखते हुए सीमा पार पूंजी प्रवाह बढ़ रहा है। बैजल ने आगे कहा कि भारतीय निवेशक जोखिम को कम करने के लिये अलग-अलग जगहों पर निवेश के लिये तथा अपना रिटर्न बढ़ाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक रीयल एस्टेट संपत्ति पर गौर कर रहे हैं। 

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इस बीच, आलोच्य अवधि में भारतीय वाणिज्यिक रीयल एस्टेट में विदेशी निवेश 2.6 अरब डालर रहा। इस 2.6 अरब डालर के निवेश के साथ इस क्षेत्र मेंपूंजी आयात करने वाले देशों में भारत 20वें स्थान पर रहा। वहीं 14.30 अरब डालर के साथ चीन छठे स्थान पर रहा। वैश्विक स्तर पर पूंजी आयात करने वाले देशों में अमेरिका शीर्ष स्थान पर रहा। वहां कुल 80.89 अरब डालर का निवेश हुआ।रिपोर्ट के अनुसार पूंजी निवेश निर्यात करने वाले देशों में भी अमेरिका शीर्ष पर है। वहां से 59.62 अरब डालर का निवेश किया गया। उसके बाद क्रमश: कनाडा (50.41 अरब डालर) तथा जर्मनी (24.50 अरब डालर) का स्थान रहा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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