डीबीटी के लाभ गिनाते हुए प्रसाद ने राजीव गांधी को याद किया
सूचना प्रौद्योगिकी एवं विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने आज प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के लाभ गिनाते हुए इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा कहे गये शब्दों को याद किया।
सूचना प्रौद्योगिकी एवं विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने आज प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना के लाभ गिनाते हुए इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा कहे गये शब्दों को याद किया। प्रसाद ने डीबीटी पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि जब हम दिल्ली से एक रुपया भेजते हैं, तो जरूरतमंदों तक सिर्फ 15 पैसे पहुंचते हैं। क्या आज हम डीबीटी की मदद से यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि यदि हम राज्यों को एक रुपया भेजे, तो यह लाभार्थियों तक इसी अनुपात में पहुंचे।’’
उन्होंने प्रतिनिधियों से कहा कि वे अपने ‘राजनीतिक आकाओं’ को डीबीटी प्लेटफार्म को लागू करने के बारे में भरोसा दिलाएं। प्रसाद ने कहा, ‘‘भारत अपनी आजादी के 70 साल पूरे करने जा रहा है। इन 70 सालों में हम चाहते हैं कि गरीब तथा वंचितों को लाभ सीधे बिना किसी बिचौलिये के मिले।’’ उन्होंने कहा कि डीबीटी योजना के तहत आधार की मदद से दो साल में राज्यों और केंद्र को 36,500 करोड़ रुपये की बचत हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘सीधे शब्दों में डीबीटी से मेरा मतलब यही है कि जो लोग लाभ के हकदार नहीं हैं उन्हें प्रणाली से बाहर किया जाए और जो पात्र हैं उन्हें शामिल किया जाए। यदि दो साल में इतनी बचत हुई है, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि दीर्घावधि में डीबीटी से कितनी बचत होगी।’’ प्रसाद ने कहा कि देश औद्योगिक क्रांति से चूक गया, लेकिन डिजिटल क्रांति से नहीं चूकेगा।
कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा ने इस मौके पर कहा कि 17 मंत्रालयों की 74 डीबीटी योजना इस प्लेटफार्म पर उपलब्ध हैं। इनके तहत देश के 30 करोड़ लोगों को 1.2 लाख करोड़ रुपये का लाभ वितरित किया गया है। उन्होंने राज्य सरकारों से मार्च, 2017 तक डीबीटी प्लेटफार्म अपनाने को कहा क्योंकि इससे उन्हें भारी बचत हो सकती है। सिन्हा ने कहा, ‘‘भारत सरकार उन राज्यों को विशेष प्रोत्साहन देने पर विचार कर रही है जिन राज्यों ने प्रणाली में सहायता के दुरुपयोग को रोकने में कामयाबी हासिल की है।’’
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