कोर्ट ने सेलम-चेन्नई हरित गलियारा परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को किया रद्द

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[email protected] । Apr 8 2019 3:02PM

पीठ ने पाया कि इस योजना से पर्यावरण,जल स्रोतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसके लिए अत्यधिक बदलाव की आवश्यकता भी होगी। अदालत ने 14 दिसम्बर 2018 को भूमि अधिग्रहण के काम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख दिया था।

चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय ने 10,000 करोड़ रुपए की लागत वाले सेलम-चेन्नई हरित गलियारे के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सोमवार को रद्द करते कहा कि प्रस्तावित मार्ग से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए इसमें अत्यधिक बदलाव की जरूरत है। न्यायमूर्ति टी एस शिवगणनम और न्यायमूर्ति भवानी सुब्बरैयन की एक पीठ ने 35 भूमि मालिकों और पीएमके नेता अंबुमणि रामदास की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया।

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पीठ ने पाया कि इस योजना से पर्यावरण,जल स्रोतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसके लिए अत्यधिक बदलाव की आवश्यकता भी होगी। अदालत ने 14 दिसम्बर 2018 को भूमि अधिग्रहण के काम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख दिया था। केंद्र की  भारतमाला परियोजना  के तहत सलेम और चेन्नई को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी 277.3 किलोमीटर लंबी आठ-लेन वाली ग्रीनफील्ड परियोजना का उद्देश्य दोनों शहरों के बीच यात्रा करने में लगने वाले समय को लगभग आधा करना है।

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इसका किसानों सहित अपनी जमीन खोने के डर से स्थानीय लोगों के एक समूह द्वारा विरोध किया जा रहा है। साथ ही पर्यावरणविद् पेड़ों की कटाई को लेकर इसके खिलाफ हैं।

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