प्रसारण को ‘बुनियादी ढांचा उद्योग का दर्जा’ देने की मांग

[email protected] । Jan 19 2017 1:14PM

आम बजट से पहले प्रसारकों की शीर्ष संस्था ने सरकार से प्रसारण उद्योग को ‘‘बुनियादी ढांचा उद्योग’’ का दर्जा दिये जाने की मांग की है।

आम बजट से पहले प्रसारकों की शीर्ष संस्था ने सरकार से प्रसारण उद्योग को ‘‘बुनियादी ढांचा उद्योग’’ का दर्जा दिये जाने की मांग की है। सूत्रों के अनुसार भारतीय प्रसारण फाउंडेशन (आईबीएफ) ने वित्त मंत्रालय को भेजे एक ज्ञापन में कहा है कि भारतीय प्रसारण उद्योग बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। इस समय इस उद्योग में एक करोड़ के करोब लोगों को रोजगार मिला हुआ है। आईबीएफ ने वित्त मंत्रालय से प्रसारण उद्योग को बुनियादी ढांचा उद्योग का दर्जा दिये जाने की मांग की है।

आईबीएफ ने कहा है कि प्रसारण उद्योग का व्यापक आकार है और इसका कारोबार बढ़ने की भी काफी उम्मीद है। ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2020 तक उद्योग से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के रूप में 30,000 से 35,000 करोड़ रुपये का योगदान सरकारी खजाने में होगा। प्रसारकों की संस्था आईबीएफ का कहना है कि दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी और प्रसारण प्रौद्योगिकी सभी के सम्मिलन और समायोजन का दौर है। मौजूदा समय में दूरसंचार सेवाओं और प्रसारण सेवाओं को अलग रखना काफी मुश्किल है।

आईबीएफ ने यह भी कहा है कि दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 9 जनवरी 2004 को जारी अधिसूचना के मुताबिक केन्द्र ने प्रसारण सेवाओं और केबल सेवाओं को ट्राई अधिनियम 1997 के तहत दूरसंचार सेवा होना माना है। इसके बावजूद दूरसंचार क्षेत्र को तो बुनियादी ढांचा क्षेत्र माना गया है और इसके तहत उसे कई तरह के लाभ और प्रोत्साहन दिये जाते हैं जबकि प्रसारण और विषय वस्तु वितरण करने वाले क्षेत्र को इस तरह के लाभ अथवा प्रोत्साहन से दूर रखा गया है।

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