नोटबंदी के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी 7.3 प्रतिशत बढ़ी

[email protected] । Jan 27 2017 5:38PM

नोटबंदी के बावजूद नवंबर महीने में ग्रामीण क्षेत्र में कृषि मजदूरी 7.3 प्रतिशत बढ़ी है। इसकी एक प्रमुख वजह पिछले साल सितंबर में सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी बढ़ाना भी रहा है।

मुंबई। नोटबंदी के बावजूद नवंबर महीने में ग्रामीण क्षेत्र में कृषि मजदूरी 7.3 प्रतिशत बढ़ी है। इसकी एक प्रमुख वजह पिछले साल सितंबर में सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी बढ़ाना भी रहा है। वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी नोमुरा की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। इसमें यह दिलचस्प तथ्य भी है कि मजदूरी में होने वाली इस वृद्धि से दबी मांग निकल सकती है।

नोटबंदी के बाद बैंकिंग प्रणाली में नई करेंसी डालने का काम पूरा होने के बाद दबी मांग बाहर आ सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सालाना आधार पर नवंबर, 2016 में ग्रामीण कृषि मजदूरी में 7.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ। अक्तूबर में यह वृद्धि 6.9 प्रतिशत रही थी। यह पिछले 12 महीने के 4.8 प्रतिशत के औसत से कहीं अधिक है। नोमुरा ने कहा कि हमारा अनुमान था कि नोटबंदी के बाद नवंबर में ग्रामीण मजदूरी की वृद्धि में कमी आएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि संभवत: ग्रामीण मजदूरी नोटबंदी के प्रभाव से इसलिए बच पाई क्योंकि सरकार ने सितंबर, 2016 में न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी की घोषणा की थी।

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