डीएलएफ अब केवल तैयार फ्लैट की ही पेशकश करेगा
लोगों को मकान पर कब्जा मिलने में होने वाली देरी और अन्य झंझटो से बचने के लिए डीएलएफ अब से केवल उन्हीं फ्लैटों की बिक्री करेगी जो पूरी तरह बनकर तैयार होंगे
नयी दिल्ली। लोगों को मकान पर कब्जा मिलने में होने वाली देरी और अन्य झंझटो से बचने के लिए डीएलएफ अब से केवल उन्हीं फ्लैटों की बिक्री करेगी जो पूरी तरह बनकर तैयार होंगे और जिनके लिये कब्जा प्रमाण पत्र भी मिल चुका होगा। कंपनी ने अपने नए कारोबारी मॉडल में इसी नीति को अपनाया है। रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिए यह एक बड़ा बदलाव हो सकता है, क्योंकि देशभर में विशेषकर दिल्ली-एनसीआर में रीयल एस्टेट क्षेत्र के सामने मकानों का कब्जा देने में देरी एक बड़ी समस्या बनी हुई है।
इससे लोगों को विरोध प्रदर्शन और अदालत का सहारा लेना पड़ता है। दिल्ली-एनसीआर में लाखों लोगों का अपने घर का सपना जेपी समूह, आम्रपाली, यूनिटेक और 3सी कंपनी की परियोजनाओं में अटका पड़ा है। डीएलएफ की नयी नीति के बारे में उसके मुख्य वित्त अधिकारी सौरभ चावला ने कहा कि अब से कंपनी पूरी तरह तैयार फ्लैटों की बिक्री ही करेगी। ‘‘ग्राहकों को अब रेडी-टू-मूव फ्लैटों की बिक्री ही की जाएगी।’’चावला ने कहा कि इमारतों का निर्माण पूरा होने के बाद डीएलएफ कब्जा प्रमाणन के लिए आवेदन करेगी और उसके बाद ग्राहकों को इसकी बिक्री की जाएगी।
उन्होंने कहा कि इसकी वजह से कार्यशील पूंजी की जो लागत बढ़ेगी वह बहुत ही आंशिक होगी। डीएलएफ के पास वर्तमान में 13,500 करोड़ रुपये की तैयार परिसंपत्तियां हैं जिनकी बिक्री अगले पांच-छह साल में की जायेगी। कंपनी नये मकानों को तैयार करना जारी रखेगी। डीएलएफ ने अपनी भागीदार कंपनी जीआईसी के साथ मिलकर मध्य दिल्ली में 70 लाख वर्गफुट की आवासीय परियोजना के पहले चरण पर काम शुरू किया है। जहां तक कर का मुद्दा है, तैयार फ्लैट पर कोई जीएसटी नहीं है जबकि निर्माणाधीन मकानों पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू है।
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