अप्रैल में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 26% बढ़कर हुई 1.15 करोड़

Domestic air passenger traffic grows 26% in April
[email protected] । May 18 2018 9:11AM

घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या अप्रैल में 26% बढ़कर 1.15 करोड़ हो गई। विमानन क्षेत्र के नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने ये आंकड़े जारी किए।

मुंबई। घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या अप्रैल में 26% बढ़कर 1.15 करोड़ हो गई। विमानन क्षेत्र के नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने ये आंकड़े जारी किए। यात्रियों की संख्या में बढ़ोत्तरी की मुख्य वजह पिछले महीने से पर्यटन सीजन का शुरू होना बतायी गई है। डीजीसीए के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अप्रैल में 1.15 करोड़ यात्रियों ने हवाई यात्रा की जबकि अप्रैल 2017 में यह संख्या 91.3 लाख थी। यह यात्रियों की संख्या में 26.05% की वृद्धि को दिखाता है।

गुरुग्राम की इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी शीर्ष पर रही है। प्रत्येक 10 में से चार से ज्यादा यात्रियों ने इंडिगो से यात्रा की, अप्रैल में उसके यात्रियों की कुल संख्या 45.8 लाख रही। वहीं सीट भरने के मामले में उसकी प्रतिद्वंदी कंपनी स्पाइसजेट शीर्ष पर रही। इस दौरान उसकी 95.5% सीटें भरी रहीं। डीजीसीए ने कहा कि हवाई यात्रियों की संख्या में पिछले महीने हुई बढ़ोत्तरी की अहम वजह पर्यटन मौसम की शुरूआत होना है।

यात्रियों की सबसे ज्यादा संख्या के साथ ही इंडिगो समय पर उड़ान परिचालन (ओटीपी) के मामले में भी शीर्ष पर रहा है। उसकी 86.6 प्रतिशत उड़ानें अपने नियत समय पर रहीं। उसकी प्रतिद्वंदी कंपनी स्पाइसजेट भी इस मामले में लगभग उसी के बराबर रहीं और उसकी 86.1% उड़ानों ने ओटीपी का पालन किया। जेट एयरवेज और उसकी अनुषंगी जेट लाइट का ओटीपी स्तर 82.9% और विस्तार का 78.4% रहा। पिछले कई महीनों में यह जेट एयरवेज का सबसे बेहतर ओटीपी स्तर रहा है।

सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया ओटीपी स्तर के मामले में सबसे पीछे रही। सभी कंपनियों के ओटीपी की माप दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु हवाईअड्डों पर उनके परिचालन के आधार पर की गई है। डीजीसीए के अनुसार सभी अधिसूचित (नियमित कार्यक्रम के आधार पर उड़ान भरने वाली विमानन कंपनियां) विमानन कंपनियों का अप्रैल में उड़ान रद्द करने का प्रतिशत 0.64% रहा है।

वहीं क्षेत्रीय उड़ानें संचालन में उतरी नयी कंपनी एयर डेक्कन की 45.60% उड़ान रद्द हुई हैं। विमान में चढ़ने से रोकने, उड़ान रद्द करने या देरी होने की वजह से कंपनियों ने 2.36 करोड़ रुपये यात्रियों को मुआवजे के तौर पर दिए हैं।

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