बेहतर मानसून से 8 % से ऊपर होगी आर्थिक वृद्धि: पनगढ़िया

[email protected] । Jul 27 2016 4:49PM

नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने विश्वास व्यक्त करते हुये कहा कि इस साल मानसून अच्छा रहने से आर्थिक वृद्धि दर 2015-16 के 7.6 प्रतिशत के मुकाबले एक प्रतिशत अंक तक ऊपर जा सकती है।

बेहतर मानसून चालू वित्त वर्ष में देश की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि को आठ प्रतिशत के पार पहुंचा सकता है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने यह विश्वास व्यक्त करते हुये कहा कि इस साल मानसून अच्छा रहने से आर्थिक वृद्धि दर 2015-16 के 7.6 प्रतिशत के मुकाबले एक प्रतिशत अंक तक ऊपर जा सकती है। पनगढ़िया ने यहां मुख्य सचिवों और योजना सचिवों के एक सम्मेलन के मौके पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं काफी आशावादी हूं और विशेषतौर पर मानसून से उत्साहित हूं। मानसून इस बार अपना काम करेगा। हम जोरदार कृषि वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यदि कृषि वृद्धि उस आधार पर होती है जिससे वृद्धि में कुछ प्रतिशत अंक जुड़े तो आठ प्रतिशत से अधिक वृद्धि काफी संभव है। वर्ष 2016-17 में हमें आठ प्रतिशत को पार कर जाना चाहिए।’’ भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर मार्च तिमाही में बढ़कर 7.9 प्रतिशत हो गई जबकि विनिर्माण वृद्धि की मदद से वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान वृद्धि दर पांच साल के उच्चतम स्तर 7.6 प्रतिशत पर रही। पिछले वित्त वर्ष के आकषर्क आंकड़ों से उत्साहित सरकार ने भी कहा था कि अच्छे मानसून के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के दौरान वृद्धि दर बढ़कर आठ प्रतिशत तक हो सकती है। कृषि क्षेत्र भी वृद्धि के दायरे में लौटा है जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसमें संकुचन हुआ था। हालांकि 2015-16 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 1.2 प्रतिशत के निम्न स्तर पर थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंगलवार को नीति आयोग के दौरे के बारे में पनगढ़िया ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री के साथ दृष्टि (2030 तक 15 साल के लिए), रणनीति (सात साल) और कार्य योजना (तीन साल) के दस्तावेज के साथ चर्चा करेंगे। हम इन दस्तावेज पर उनका दिशानिर्देश मांगेंगे और अपनी राय साझा करेंगे।’’ कुछ राज्यों में पंचवर्षीय योजना जारी रहने के बारे में उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार राज्यों पर कुछ भी नहीं थोप रही है। कुछ राज्य अपनी योजनायें जारी रखेंगे। पनगढ़िया ने कहा, ‘‘जैसा कि आपको पता है, योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग बनाया गया है लेकिन ज्यादातर राज्यों में योजना बोर्ड बरकरार हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें सुव्यवस्थित करने की जरूरत है, मसलन योजना और गैर-योजना व्यय के बीच फर्क। वर्ष 2017-18 से यह खत्म होना शुरू हो जाएगा। लेकिन जो राज्य योजना (पुरानी प्रक्रिया) बकररार रखते हैं, वे अपने स्तर पर यह चुनने के लिए आजाद होंगे कि किस व्यय को वे राज्य स्तर पर योजना व्यय के तौर पर वर्गीकृत करना चाहते हैं।’’ रेल बजट को खत्म करने और वित्त वर्ष को कैलेंडर वर्ष में बदलने के संबंध में उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया गया है। इससे पहले नीति आयोग के सदस्य विवेक देबराय ने कहा था कि वर्ष 2018 तक रेल बजट को समाप्त करना और वित्त वर्ष को कैलेंडर वर्ष में बदलना वास्तविकता हो जायेगी।

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