EPFO पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का आपकी सैलरी पर यह पड़ेगा असर
वे इस तथ्यात्मक निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सवालों के घेरे में आए भत्ते (विशेष भत्ता) अनिवार्य रूप से मूल वेतन का हिस्सा हैं, जिसे एक भत्ते के हिस्से के तौर पर छिपाया गया था ताकि कर्मचारी के भविष्य निधि खाते में योगदान के लिये उसी अनुरूप कटौती से बचा जा सके।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि किसी नियोक्ता द्वारा अपने कर्मचारियों को दिये जाने वाले विशेष भत्ते को भविष्य निधि के लिये कटौती करते वक्त ‘मूल वेतन’ में शामिल किया जाना चाहिये। शीर्ष अदालत ने यह बात इस सवाल पर विचार करते हुए कही कि क्या किसी प्रतिष्ठान द्वारा अपने कर्मचारियों को दिये जाने वाले विशेष भत्ते कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के प्रावधान के तहत भविष्य निधि के लिये कटौती करते वक्त ‘मूल वेतन’ की परिभाषा में आएंगे। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने कंपनियों द्वारा भविष्य निधि आयुक्त के फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया।
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भविष्य निधि आयुक्त ने भविष्य निधि के लिये कटौती करते वक्त मूल वेतन में विशेष भत्तों को शामिल करने का फैसला सुनाया था। हालांकि, उसने पश्चिम बंगाल क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ के फैसले के खिलाफ दायर अपील को मंजूर कर लिया। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा था कि चूंकि विशेष भत्ते उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से नहीं जुड़े हैं, इसलिये ये ‘मूल वेतन’ की परिभाषा में नहीं आते हैं।
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शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘‘वेतन ढांचा और वेतन के घटकों का तथ्यों पर प्राधिकार और अपीलीय प्राधिकार ने कानून के तहत परीक्षण किया है। वे इस तथ्यात्मक निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सवालों के घेरे में आए भत्ते (विशेष भत्ता) अनिवार्य रूप से मूल वेतन का हिस्सा हैं, जिसे एक भत्ते के हिस्से के तौर पर छिपाया गया था ताकि कर्मचारी के भविष्य निधि खाते में योगदान के लिये उसी अनुरूप कटौती से बचा जा सके। हमारे पास तथ्यों पर संयुक्त निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने का कोई मौका नहीं है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि कंपनियों ने इस बात को दर्शाने के लिये कोई सामग्री नहीं रखी कि सवालों के घेरे में आए भत्ते वैरिएबल या उत्पादन के लिये किसी प्रोत्साहन से जुड़े थे, ताकि कर्मचारी अधिक उत्पादन करे और सवालों के घेरे में आए भत्ते एक खास श्रेणी के सभी कर्मचारियों को नहीं दिये जा रहे थे या विशेष रूप से उन लोगों को दिया जा रहा था जो अवसर का लाभ उठाते हैं।
#EPFO had gone to court & said that employers are cheating & not considering the full legitimate basic pay for the purpose of contributing 12% towards Provident Fund. @_prashantnair explains pic.twitter.com/FWSZ3SyUDP
— CNBC-TV18 News (@CNBCTV18News) March 1, 2019
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