कोरोना वायरस से निपटने को फर्जी खबरों से बचाव के उपाय करें कंपनियां: विशेषज्ञ

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विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि इस तरह की ‘खबरों’ से दुनियाभर की कंपनियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं लोगों को भी स्वास्थ्य के मामले में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

नयी दिल्ली। देश और दुनिया में कोरोना वायरस जितनी तेजी से अपने पैर पसार रहा है, उतनी ही तेजी से इस महामारी से जुड़ी फर्जी खबरें भी फैल रही हैं। विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि इस तरह की ‘खबरों’ से दुनियाभर की कंपनियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं लोगों को भी स्वास्थ्य के मामले में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। हालाांकि, सरकारों ने इस महामारी से जुड़ी झूठी खबरों का प्रसार करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। कोविड-19 की शुरुआत पिछले साल दिसंबर में चीन से हुई थी। 

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दुनियाभर में इस महामारी से दो लाख लोगों की जान जा चुकी है। अब तक 28 लाख लोग इससे संक्रमति हैं। इस महामारी को लेकर लगातार फर्जी सूचनाओं का प्रसार हो रहा है है। इन फर्जी खबरों की वजह से लोगों द्वारा ‘कीटाणुनाशक’ और ‘औद्योगिक एल्कोहल’ पीने की घटनाएं भी सामने आई हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये इस तरह के झूठे दावों और फर्जी खबरों का प्रसार किया जा रहा है। इसके चलते धर्म के आधार पर हमलों, नफरत फैलाने वाले भाषण और इसी तरह की अन्य गतिविधियां भी देखने को मिल रही हैं। वहीं साइबर अपराधी इस संकट की स्थिति का लाभ उठाने से नहीं चूक रहे हैं। साइबर धोखाधड़ी के भी काफी मामले सामने आ रहे हैं।

जिनेवा स्थित विश्व आर्थिक मंच में मीडिया, मनोरंजन और सूचना उद्योग की ‘कम्युनिटी क्रिएटर’ फराह ललानी ने कहा, ‘‘कंपनियों को उनके ब्रांड के बारे में प्रसारित की जा रही गलत सूचनाओं से निपटने के लिए त्वरित कदम उठाने होंगे। उपभोक्ताओं को अपने आधिकारिक माध्यमों तक लाना होगा। अपने सभी सोशल मीडिया खातों में तेजी से स्पष्ट सूचनाएं डालनी होंगी।’’ उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी करने वाले और गलत सूचनाओं का प्रसार करने वाले लोग अपना काम करेंगे। लेकिन कंपनियों को सावधानी बरतनी होगी। कंपनियों को समूचे मीडिया पारिस्थतिकी तंत्र और नियामकीय निकायों के साथ मिलकर इस चुनौतीपूर्ण समस्या का हल करना होगा। भारत में उद्योग निकाय और जनसंपर्क समूह (एडवोकेसी ग्रुप) सहित विभिन्न संगठन कोविड-19 और लॉकडाउन से जुड़े आधिकारिक और विश्वसनीय आंकड़े जुटा रहे हैं जिससे कंपनियों को इस संकट से निपटने की तैयारियों में मदद की जा सकेगी। अनुसंधान एवं सार्वजनिक नीति सलाहकार कंपनी चेज इंडिया ने कोविड-19 संकट शुरू होने के साथ इस पर काम शुरू कर दिया था। 

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चेज इंडिया द्वारा अपने ग्राहकों को रोजाना के आधार पर इससे जुड़ी जानकारियां भेजी जा रही हैं। साथ ही उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इस पर क्या किया जा रहा है। विभिन्न कंपनियों ने इसको लेकर क्या कदम उठाए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों के पास सही सूचनाएं पहुंचना जरूरी है, तभी वे विभिन्न नए दिशानिर्देशों को समझ पाएंगी, उनका विश्लेषण और क्रियान्वयन कर सकेंगी। चेज इंडिया के सह संस्थापक एवं कार्यकारी उपाध्यक्ष मानस के नियोग ने कहा, ‘‘आज की परिस्थितियों में कोविड-19 जैसे स्वास्थ्य संकट के अलावा जलवायु परिवर्तन के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव सबसे बड़ी चिंता हैं। इनके बारे में समय पर सही सूचनाएं उपलब्ध होना जरूरी है।’’

सोशल मीडिया इस तरह की खबरों के प्रसार का प्रमुख मंच बन चुका है। इसी के मद्देनजर फेसबुक और ट्विटर ने इस तरह की पोस्ट हटाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा उनके द्वारा अन्य कदम भी उठाए जा रहे हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति जेर बोलसोनारो द्वारा साझा किए गए उस पोस्ट को हटा दिया गया है जिसमें दावा किया गया था कि मलेरिया के इलाज की दवा हाइड्रोक्लोरोक्वीन कोविड-19 के इलाज में कारगर है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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