निर्यात क्षेत्र को कर्ज के मामले में प्राथिमक क्षेत्र का दर्जा मिलना चाहिये: प्रभु
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि उनका मंत्रालय निर्यात क्षेत्र को कर्ज दिये जाने के मामले में बैंकों की प्राथमिक क्षेत्र की श्रेणी में शामिल करना चाहता है।
मुंबई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि उनका मंत्रालय निर्यात क्षेत्र को कर्ज दिये जाने के मामले में बैंकों की प्राथमिक क्षेत्र की श्रेणी में शामिल करना चाहता है। मंत्रालय ने यह मुद्दा रिजर्व बैंक के समक्ष उठाया है। उन्होंने कहा, ‘‘निर्यात एक रणनीतिक मुद्दा है जो भारत के हितों को बढ़ाता है। इसलिए यह भारत के लिए एक रणनीतिक वरीयता का मसला है ना कि बैंकिंग क्षेत्र के लिए ऋण वरीयता का, यह अपने आप में पूर्ण विरोधाभासी है।’’
प्रभु यहां 44वें भारतीय रत्न एवं आभूषण पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस समारोह का आयोजन रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद करती है।प्रभु ने कहा कि यह वाणिज्यिक बैंकों की समस्या नहीं है बल्कि यह नियामक से जुड़ी समस्या है। उन्होंने रिजर्व बैंक के गर्वनर से पहले ही इस संबंध में चर्चा की और कहा कि उन्हें निर्यात को भी तरजीही आधार पर ऋण देने वाले क्षेत्र के तौर पर देखना चाहिए।उन्होंने कहा कि बैंकिंग एक महत्वपूर्ण मसला है और हमें इसे ठीक करना होगा। हम इस पर काम करते रहेंगे।
प्रभु के पास नागर विमानन मंत्रालय का भी प्रभार है। प्रभु ने कहा कि विमानन मंत्रालय के ‘डिजि यात्रा’ प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और इस सुविधा को अगले दो महीने में शुरू किया जा सकता है।प्रभु ने कहा कि इससे हवाई यात्रा को तेज और बाधा रहित बनाने में मदद मिलेगी। इसके तहत हवाई यात्रा के लिए कागजी कामकाज को कम किया जाएगा और हवाईअड्डों पर प्रवेश इत्यादि के लिए डिजिटल प्रणाली को प्रभावी बनाया जाएगा, जिसके लिए यात्रियों के आधार और मोबाइल नंबर का उपयोग किया जाएगा।
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