राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में छात्राओं का नामांकन दर सबसे कम: सर्वेक्षण
राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में छात्राओं का नामांकन दर सबसे कम है, इसके बाद राज्यों के निजी मुक्त विश्वविद्यालय और सरकारी डीम्ड विश्वविद्यालयों का स्थान आता है।
नयी दिल्ली। राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में छात्राओं का नामांकन दर सबसे कम है, इसके बाद राज्यों के निजी मुक्त विश्वविद्यालय और सरकारी डीम्ड विश्वविद्यालयों का स्थान आता है। अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण (एआईएसएचई) में यह बात सामने आई है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह रिपोर्ट जारी की। उन्होंने कहा कि देश में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन दर 25.8 प्रतिशत है जिसका आकलन 18 से 23 आयु वर्ग के छात्रों के संदर्भ में होता है।
साल 2017-18 की एआईएसएचई रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में छात्राओं की हिस्सेदारी कम है, इसके बाद राज्यों के निजी मुक्त विश्वविद्यालयों का आता है और फिर सरकारी डीम्ड विश्वविद्यालय का आता है जहां छात्राओं का नामांकन कम है। इसमें कहा गया है कि उच्च शिक्षा में कुल नामांकन 3.66 करोड़ है जिसमें 1.92 करोड़ लड़के और 1.74 करोड़ छात्रााएं हैं। कुल नामांकन में लड़कियों की हिस्सेदारी 47.6 प्रतिशत है।
वहीं, पुरूष आबादी के लिये सकल नामांकन दर (जीईआर) 26.3 प्रतिशत और महिला आबादी के लिये जीईआर 25.4 प्रतिशत है। अनुसूचिज जातियों के लिये यह 21.8 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिये यह 15.9 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2017 में अधिक पुरूषों को पीएचडी प्रदान किया गया और इनमें से ज्यादातर विज्ञान संकाय में थे।
सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में 34000 छात्रों को पीएचडी स्तर की डिग्री प्रदान की गई। इनमें 20,179 पुरूष और 14,221 महिलाएं शामिल हैं। स्नातकोत्तर स्तर पर ज्यादा छात्रों ने सामाजिक विज्ञान में दाखिला लिया और इसके बाद प्रबंधन संकाय का स्थान सामने आया। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 46,114 विदेशी छात्रों ने दाखिला लिया।
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