वित्त मंत्रालय की कुछ सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी स्थानांतरित करने की योजना

FinMin plans to transfer shares of some PSUs to SNIF
[email protected] । Jul 23 2018 5:29PM

वित्त मंत्रालय एमएमटीसी, आईटीडीसी, एमआरपीएल, हिंदुस्तान कापर समेत 10 सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी शेयरों को एक विशेष निवेश कोष को हस्तांतरित करने की योजना बना रहा है।

नयी दिल्ली। वित्त मंत्रालय एमएमटीसी, आईटीडीसी, एमआरपीएल, हिंदुस्तान कापर समेत 10 सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी शेयरों को एक विशेष निवेश कोष को हस्तांतरित करने की योजना बना रहा है ताकि इनमें सेबी के न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता संबंधी नियमों को पूरा किया जा सके। नियमों के तहत बाजार में सूचीबद्ध लोक उपक्रमों को 21 अगस्त 2017 तक न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी के नियम को पूरा करना था। बाद में इस समय सीमा एक साल के लिए बढ़ा दी गयी।

समयसीमा करीब आने के साथ मंत्रालय सूचीबद्ध 10 सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी विशेष राष्ट्रीय निवेश कोष (एसएनआईएफ) में स्थानांतरित करने पर विचार कर रहा है ताकि पूंजी बाजार नियामक के मानदंडों को पूरा किया जा सके। सरकार के लिये हो सकता है कि वह मौजूदा बाजार स्थिति में इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच पाये। 

सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने यह प्रस्ताव तैयार किया है। इसे जल्दी ही मंत्रिमंडल के समक्ष मंजूरी के लिये रखा जाएगा। जिन 10 सार्वजनिक उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 75 प्रतिशत पर लाया जाना है, उसमें कोल इंडिया, एनएलसी (पूर्व में नैवेली लिग्नाइट), एसजेवीएन , स्टेट ट्रेडिंग कारपोरेशन (एसटीसी), कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी तथा मद्रास फर्टिलाइजर्स शामिल हैं। मंत्रालय द्वारा तैयार नोट के अनुसार विनिवेश के लिये वैकल्पिक प्रणाली से मंत्रालय बदलते बाजार हालात के हिसाब से त्वरित निर्णय करने में मदद मिलेगी।

फिलहाल मंत्रालय कोल इंडिया तथा एनएलसी में हिस्सेदारी बिक्री के लिये बैठकें कर रही है। कोल इंडिया में सरकार की 78.32 प्रतिशत और एनएलसी में 84.04 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सूत्रों के अनुसार मंत्रालय अगर इन दोनों कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री में असमर्थ रहता है तो वह 75 प्रतिशत ऊपर हिस्सेदारी एसएनआईएफ को को स्थानांरित कर सकता है। उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी बिक्री के लिये वैकल्पिक व्यवस्था स्थापित करने की मंजूरी दी थी। इसमें वित्त मंत्री, सड़क परिवहन मंत्री तथा संबंधित प्रशासनिक मंत्री शामिल हैं।

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