पूर्व कोयला सचिव, पांच अन्य के खिलाफ आरोप तय

[email protected] । Aug 19 2016 2:25PM

अदालत ने एक मामले में पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, दो लोकसेवकों, निजी कंपनी विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड और उसके दो अधिकारियों के खिलाफ आज विभिन्न आरोप तय किये।

दिल्ली की एक विशेष अदालत ने कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले के एक मामले में पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, दो लोकसेवकों, निजी कंपनी विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड और उसके दो अधिकारियों के खिलाफ आज विभिन्न आरोप तय किये जिसमें धोखाधड़ी एवं आपराधिक षड्यंत्र शामिल हैं। विशेष न्यायाधीश भरत पाराशर ने मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा शुरू किया जिसमें इससे पहले अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी थी। अदालत ने जांच एजेंसी से मामले की और जांच करने को कहा था।

मामला पश्चिम बंगाल में मोइरा और मधुजोरी (उत्तर और दक्षिण) कोयला ब्लाक का आवंटन वीएमपीएल को करने में कथित अनियमितताओं को लेकर है। सितम्बर 2012 में सीबीआई ने मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी। गुप्ता और कंपनी के अलावा अदालत ने लोकसेवकों के खिलाफ भी मुकदमा शुरू किया जिसमें कोयल मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव के एस करोफा, कोयला मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक (सीए..आई) केसी समरिया, कंपनी के प्रबंध निदेशक विकास पटनी और उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आनंद मलिक शामिल हैं। आरोपियों ने स्वयं को बेगुनाह बताया और कहा कि वे मुकदमे का सामना करेंगे। इसके बाद अदालत ने मामले की आगे की सुनवायी नौ सितम्बर करना तय किया। गुप्ता कोयला घोटाले के कई मामले में आरोपी हैं और वर्तमान में जमानत पर हैं। उन्होंने हाल में अदालत से कहा था कि वह ‘‘जेल में रहकर मुकदमे का सामना करना चाहते हैं’’ और उन्होंने जमानत के लिए दिया गया निजी मुचलका वित्तीय परेशानियों के चलते वापस ले लिया था। उन्होंने नयी दिल्ली विधि सहायता सेवा प्राधिकरण की ओर से एक वकील या अदालत की ओर से नियुक्त न्यायमित्र लेने की अदालत की पेशकश भी ठुकरा दी थी। उनकी अर्जी वर्तमान में अदालत में लंबित है।

अदालत ने वर्तमान मामले में आरोप तय करने का आदेश देते हुए कहा कि ‘‘प्रथम दृष्टया’’ आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वास हनन का मामला और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला बनता है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मामले के समग्र तथ्यों और परिस्थितियों के साथ ही गवाही को ध्यान में रखते हुए मेरा विचार है कि सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 (बी) 409, 420 तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 (1) (सी) और 13 (1) (डी) के तहत मामला बनता है..।’’ अदालत ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया करोफा और समरिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत पर्याप्त मामला बनता है। उसने कहा, ‘‘गुप्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामले बनते हैं।’'

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