FRBM वित्तीय असंतुलन बनने से रोक नहीं पाया: अरविंद सुब्रमण्यम
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि वित्तीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) का रूपरेखा ढांचा ''खतरनाक'' वित्तीय असंतुलन बनने से नहीं रोक पाया है और वह ऋण घटाने में सफल नहीं रहा है।
नयी दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि वित्तीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) का रूपरेखा ढांचा 'खतरनाक' वित्तीय असंतुलन बनने से नहीं रोक पाया है और वह ऋण घटाने में सफल नहीं रहा है। सुब्रमण्यम ने यहां आईआईटी दिल्ली में 'भारत के आर्थिक विकास में समसामयिक विषय एवं आर्थिक सर्वेक्षण' विषयक सत्र को संबोधित करते हुए कहा, 'भारत में एफआरबीएम कुछ हद तक काम कर पाया है लेकिन पूरी तरह नहीं ....एफआरबीएम ऋण को लगातार कम करने की दिशा में ले जाने सफल नहीं रहा है।' एफआरबीएम के उद्देश्य पर मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि 13 साल पुराना यह कानून खतरनाक वित्तीय असंतुलन बनने से नहीं रोक पाया।
उन्होंने कहा कि 2002-2003 के आसपास पहली बार जब एफआरबीएम लागू किया गया था तब आज की तुलना में भारत बिल्कुल एक भिन्न देश था ।उन्होंने कहा, 'वर्ष 2002 में तब आर्थिक उछाल नहीं आया था, वाकई तब चीजें बहुत खराब थीं, वृद्धि घट गयी थी, निजी निवेश घट गया था, अतएव तब बिल्कुल भिन्न स्थिति थी।' सुब्रमण्यम ने कहा, 'आज बिल्कुल अलग स्थिति है क्योंकि भारत 2002 की तुलना में अब बहुत तेजी से बढती अर्थव्यवस्था है .....एक ऐसी भावना बनी है कि एफआरबीएम की समीक्षा करना स्वभाविक है।' पिछले साल मई में एक एफआरबीएम समिति बनाई गई जो कि पिछले 12 वषों के दौरान वित्तीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन कानून के कामकाज की समीक्षा करेगी और इसके भविष्य को लेकर सुझाव देगी। इस समिति की रिपोर्टको 12 अप्रैल को सार्वजनिक किया गया।
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