भारतीय कंपनियों ने कॉरपोरेट बांड से अप्रैल-सितंबर में दो लाख करोड़ रुपये जुटाए

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[email protected] । Oct 15 2018 5:37PM

सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर की अवधि में कॉरपोरेट बांड के निजी नियोजन के जरिये दो लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार यह एक साल

नयी दिल्ली। सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर की अवधि में कॉरपोरेट बांड के निजी नियोजन के जरिये दो लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार यह एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 38 प्रतिशत की गिरावट है। पूरे वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनियों ने इस मार्ग से छह लाख करोड़ रुपये जुटाए थे। कंपनियों द्वारा यह राशि मुख्य रूप से कारोबार के विस्तार, कार्यशील पूंजी की जरूरत को पूरा करने और मौजूदा कर्ज के बोझ को कम करने के लिए जुटाई गई है। बांडों के निजी नियोजन में कंपनियां पूंजी जुटाने को संस्थागत निवेशकों को प्रतिभूतियां या बांड जारी करती हैं। 

आंकड़ों के अनुसार बीएसई और एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बांडों के निजी नियोजन से 2.01 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में जुटाई गई राशि 3.24 लाख करोड़ रुपये से 38 प्रतिशत कम है। आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-सितंबर के दौरान कुल 1,173 निर्गम जारी किए गए। एक साल पहले समान अवधि में यह आंकड़ा 1,459 का था। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में इस मार्ग से कम राशि जुटने की वजह यह है कि कंपनियों ने कोष जुटाने के लिए इक्विटी मार्ग को प्राथमिकता दी। कंपनियों द्वारा आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) और अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) के जरिये कोष जुटाने पर ध्यान दिया गया। 

पिछले महीने सेबी के निदेशक मंडल ने बड़ी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए अपनी दीर्घावधि की ऋण की जरूरत का कम से कम 25 प्रतिशत कॉरपोरेट बांड के जरिये जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। यह पहली अप्रैल, 2019 से लागू होना है। 

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