तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6 प्रतिशत रहने की उम्मीद

[email protected] । Jan 25 2017 1:57PM

भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में करीब 6 प्रतिशत रह सकती है जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में यह और धीमी पड़कर 5.7 प्रतिशत रह सकती है।

नोटबंदी से बने गतिरोध की वजह से भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में करीब 6 प्रतिशत रह सकती है जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में यह और धीमी पड़कर 5.7 प्रतिशत रह सकती है। नोमुरा की रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है। जापान की वित्तीय सेवा क्षेत्र की इस प्रमुख एजेंसी के मुताबिक नोटबंदी की वजह से खपत और सेवा क्षेत्र पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। यही दो क्षेत्र हैं जो नोटबंदी से पहले काफी तेजी से बढ़ रहे थे। हालांकि, एजेंसी का कहना है कि 2017 की दूसरी छमाही से वृद्धि दर में तेजी से सुधार आ सकता है। नोमुरा ने अपने एक शोध पत्र में कहा है, ‘‘हमारा अनुमान है कि साल-दर-साल आधार पर जुलाई-सितंबर तिमाही की जीडीपी वृद्धि 7.3 प्रतिशत से घटकर अक्तूबर-दिसंबर 2016 तिमाही में 6 प्रतिशत रह जायेगी। वित्त वर्ष की चौथी तिमाही जनवरी-मार्च में यह और घटकर 5.7 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है।’’

नोमुरा ने इससे पहले नवंबर में जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि नोटबंदी की वजह से भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2016 की चौथी तिमाही में कमजोर पड़कर 6.5 प्रतिशत रह सकती है, जबकि 2017 की पहली तिमाही में यह 7.5 प्रतिशत रह सकती है। इससे पहले इन तिमाहियों के लिये उसने वृद्धि दर के क्रमश: 7.3 और 7.9 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था।

शोध एजेंसी ने कहा है, ‘‘2017 की दूसरी छमाही से हमें आर्थिक वृद्धि की दर में तीव्र सुधार की उम्मीद है। ब्याज दरें घटने, संपत्ति का फिर से वितरण और दबी मांग बढ़ने से इसमें तेजी से सुधार होगा।’’ रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति उपायों के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की अंतिम कटौती फरवरी में हो सकती है। हालांकि, इसमें यह भी देखना होगा कि 2017-18 में सरकार अपने राजकोषीय घाटे का सुदृढीकरण करे।

वित्तीय सेवा एजेंसी ने कहा है, ‘‘फरवरी के बाद हमें लगता है कि रिजर्व बैंक मुख्य नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं करेगा क्योंकि 2017 की दूसरी तिमाही में हमें वृद्धि और मुद्रास्फीति दोनों के तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।’’ रिजर्व बैंक ने इससे पहले 7 दिसंबर को की गई द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को स्थिर रखा था। इस दौरान केन्द्रीय बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर को भी आधा प्रतिशत अंक घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया था। नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक की यह पहली मौद्रिक समीक्षा थी। केन्द्रीय बैंक अगली मौद्रिक समीक्षा आठ फरवरी को करेगा।

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