हर हाल में हम राजकोषीय घाटे का 3.3% लक्ष्य हासिल कर लेंगे: गोयल

Govt will meet fiscal deficit target of 3.3% this year, says Piyush Goyal
[email protected] । Jun 18 2018 5:13PM

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि चुनावी वर्ष होने के बावजूद सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 3.3 प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि चुनावी वर्ष होने के बावजूद सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 3.3 प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। गोयल ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। चालू वित्त वर्ष (2018-19) के बजट में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खर्च में कटौती नहीं की जाएगी क्योंकि योजनागत व्यय के लिए सरकार के पास पर्याप्त वैकल्पिक संसाधन है। वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.53 प्रतिशत था, जो कि सरकार के संशोधित अनुमान के अनुरूप ही रहा। वित्त मंत्री ने कहा कि इस वर्ष राजकोषीय घाटा गिरकर 3.3 प्रतिशत पर आ जाएगा और मैं यह भरोसा दिलाता हूं कि चुनावी वर्ष होने के बावजूद हम राजकोषीय घाटे को 3.3 प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य को हासिल करेंगे। हम इस पर नजर रख रहे हैं और काम कर रहे हैं।

गोयल ने लोगों से 2013-14 हो चाहे 2007-08 या 2008-09 हो, उस के इतिहास को देखने का आग्रह किया। जब राजनीतिक मजबूरियों के चलते राजकोषीय घाटे , वृहद आर्थिक स्थिरता, सुशासन को नजरअंदाज किया गया। सरकार ने इस साल फरवरी में पेश बजट में 2017-18 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को संशोधित कर 3.5 प्रतिशत कर दिया था जो कि बजट अनुमान में 3.2 प्रतिशत रखा गया था। वर्ष के दौरान राजस्व घाटा जीडीपी के 2.65 प्रतिशत के बराबर रहा। वास्तविक आंकड़ों में राजकोषीय घाटा 5.91 लाख करोड़ रुपये रहा। यह राशि बजट अनुमान का 99.5 प्रतिशत रही।

गोयल ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीसीआई) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था की मजबूती बनाए रखेगी और हम सरकार द्वारा तय सभी आर्थिक मानकों को पूरा करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का राजकोषीय घाटे पर असर पड़ेगा। इस वित्त मंत्री ने कहा कि यह सरकार अर्थव्यवस्था और कीमतों के प्रबंधन में बहुत जिम्मेदार है। हमने इस पर काम किया है और तेल की बढ़ी कीमतों का क्या प्रभाव पड़ेगा इसका अनुमान लगाया है। कुछ अनुमान बजट से पहले लगाया गया था और कुछ अब लगाया गया है।

पेट्रोलियम उत्पादों की जीएसटी के दायरे में लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वास्तव में यह निर्णय जीएसटी परिषद को लेना है क्योंकि इस मामले में फैसला लेने का अधिकार अकेले केन्द्र सरकार का नहीं है।

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