मांग बढ़ने से अर्थव्यवस्था और विकास को बड़ा बढ़ावा मिलेगा: Assocham

growing-demand-will-give-a-big-boost-to-economy-and-development-says-assoham
[email protected] । Jan 15 2020 5:30PM

एसोचैम के अध्यक्ष डॉ निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि वित्तीय प्रोत्साहन, बुनियादी ढांचे में सतत निवेश से मांग में बढ़ोतरी होगी और इससे अर्थव्यवस्था में विकास तेज़ी आएगी।साथ ही उद्योग जगत अगले कुछ वर्षों में पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के एक बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद कर सकती है।

नयी दिल्ली। एसोचैम के अध्यक्ष डॉ निरंजन हीरानंदानी ने आज कहा कि माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के उद्योग जगत के व्यापक वर्गो और अन्य प्रमुख हितधारकों से खुद सम्पर्क करने के लगातार प्रयास, वित्तीय प्रोत्साहन, बुनियादी ढांचे में सतत निवेश से मांग में बढ़ोतरी होगी और इससे अर्थव्यवस्था में विकास तेज़ी आएगी।

हालांकि, उन्होंने कहा, कि उद्योग जगत को आगामी बजट से विभिन्न मोर्चों पर कुछ उम्मीदें और आशाएं हैं।  जिससे वो अर्थव्यवस्था और देश के विकास में अपनी पूरी क्षमता के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम हैं। साथ ही उद्योग जगत अगले कुछ वर्षों में पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के एक बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद कर सकती है। डॉ हीरानंदानी के अनुसार, उद्योग जगत  चिंता के प्रमुख क्षेत्रों में कुछ साहसिक उपायों की तलाश कर रहा है.

इसे भी पढ़ें: मजबूत वैश्विक रुख से सोना 256 रुपये उछला, चांदी में भी तेजी

1. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस - हालांकि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग में राष्ट्रीय स्तर पर सुधार हुआ है, कई राज्यों को जमीनी स्तर पर  बाधाओं को दूर करने और अनुमोदन प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत है। भारत को न्यायिक सुधारों की आवश्यकता है जो देश में अधिक अनुबंध प्रवर्तन में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा सरकार से प्राप्त भूमि, शेड , गोदाम का तेजी से आवंटन आवश्यक है (समयसिमा निर्धारित करे ,  आवेदन की ऑनलाइन ट्रैकिंग, जमीन की वापसी सहित)। भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण एक लंबे समय से लंबित मुद्दा है और हम भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के लिए समयबद्ध नीति की सिफारिश करते हैं।

2. एमएसएमई क्षेत्र (MSME) - एमएसएमई अर्थव्यवस्था का चेहरा है और हमारे देश के सम्पूर्ण हालात की तस्वीर दिखता  है। हालाँकि उन्हें पूंजी की उच्च लागत , कम क्रेडिट पहुंच, खराब बुनियादी ढांचा, बाजार से संपर्क की कमी के कारण परेशानी होती है । हमें एमएसएमई की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए समर्पित सूचकांक निर्धारित करनी होगी । कॉरपोरेट संस्थाओं के लिए सरकार द्वारा घोषित आयकर दरों में कमी को भी सभी एमएसएमई को सभी में बढ़ाया जाना चाहिए।

एमएसएमई जो बड़े स्तर पर रोजगार प्रदान करते हैं, उन्हें वित्तीय प्रोत्साहन या विशिष्ट कर छूट दी जानी चाहिए,  जो उनके द्वारा दिए गए नए रोजगार से जुड़ी हो सकती है। एमएसएमई को खरीदारों से देरी से भुगतान की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा वह कम सौदेबाजी की शक्ति के कारण एमएसएमईडी  अधिनियम के तहत उन्हें उपलब्ध कानूनी प्रावधानों को लागू करने में संकोच करते हैं। यह अनुशंसा की जाती है कि एमएसएमईडी अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए, जिसमें सभी एमएसएमई को एक निर्दिष्ट राशि से ऊपर अपने सभी चालान को अनिवार्य रूप से अपलोड करने को कहा  जाये । 

इसे भी पढ़ें: चंदा कोचर से रकम वसूली के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा ICICI बैंक

खरीदारों से उनके भुगतान प्राप्त करने के लिए एमएसएमएस की सुविधा के लिए एक निगरानी प्राधिकरण की स्थापना की जानी चाहिए। कैपिटल गेन के निवेश पर छूट देने के लिए आयकर अधिनियम की धारा 54 का विस्तार किया जाना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार के कैपिटल गेन में उद्योग / व्यवसायों में किए गए सभी निवेशों को शामिल किया जा सके। 2019 के बजट  में, स्टार्ट-अप में किए गए निवेश को कैपिटल गेन में  छूट दी गई थी। हम सलाह देते हैं कि कैपिटल गेन में सभी एमएसएमई में किए गए निवेशों को आयकर से मुक्त किया जाना चाहिए।  इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियों या माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के जैसे ही  एमएसएमई वित्तपोषण के लिए विशेष एनबीएफसी को एमएसएमई को वित्त देने के लिए स्थापित किया जाना चाहिए और इस तरह के ऋण को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के ऋण के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए। 

3. विनिर्माण (Manufacturing) - आयात वाले वो उत्पाद, जो भारत में विनिर्माण के लिए नए निवेश को आकर्षित करते हैं, उन्हें  मुक्त व्यापार समझौते के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। हर 1 करोड़ के निवेश में 50 लोगों और उससे अधिक लोगो को रोजगार देने वाले उद्योगों को उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में माना जाना चाहिए। सिस्टम और उपकरणों पर ब्याज या पूंजीगत सब्सिडी देकर परिचालन के डिजिटलीकरण को अपनाने वाले उद्योगों के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता है। बीस प्रतिशत से अधिक महिला रोजगार देने वाली कंपनियों को एक प्रतिशत की समग्र कर छूट देने की आवश्यकता है।

4. निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता (Export Competitiveness) - निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार के लिए कम से कम 3-5 वर्षों के लिए नीति में स्थायित्व की आवश्यकता है। उद्योग नई योजना- रिबेट ऑफ़  स्टेट एंड सेंट्रल टैक्स एंड लेविस स्कीम (RoSCTL) पर बातचीत का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों के लिए, सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता है, ताकि कार्यान्वयन में हो रही  देरी से बचा जा सके। पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की बड़ी भूमिका है।  ILFS बांड आने के बाद भी बाजार में सुधार नहीं हुआ है। हमें दीर्घकालिक बांड में निवेश के लिए बाजार की आवश्यकता है, जहां पेंशन फंड निवेश कर सकते हैं।

इसे भी पढ़ें: विज्ञापनों को रोमांचक और नया नजरिया प्रदान करेगा ASUS का टीवीसी लैपटॉप

5. टेलीकॉम सेक्टर - यह सेक्टर पिछले 3 सालों से वित्तीय तनाव से गुजर रहा है। हाल के एजीआर के फैसले ने तनाव को और बढ़ा दिया है और एक अभूतपूर्व वित्तीय संकट पैदा हो गया है। आईएसपी / एनएलडी / आईएलडी / वीएसएटी लाइसेंस रखने वाली अधिकांश कंपनियां अपने लाइसेंस में सकल राजस्व की परिभाषा के कारण इस निर्णय का शिकार हो गई हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हुए, हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह पूरे क्षेत्रों में अभूतपूर्व स्थिति से बचने के लिए हस्तक्षेप करे। व्यापार में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एजीआर के मुद्दे को संबोधित करना, क्षेत्र में निवेश और 'डिजिटल इंडिया' के विजन को पूरा करने के लिए बहुत आवश्यक है। ट्राई ने पहले ही यूनिवर्सल सर्विस लेवी में दो प्रतिशत की कटौती की सिफारिश की है - यह सिफारिश कृपया स्वीकार कर कार्यान्वित की जाये । शेष लाइसेंस शुल्क एक प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। एजीआर की परिभाषा की समीक्षा करने के लिए भी कदम उठाए जा सकते हैं। अनुरोध है कि सीमा शुल्क को ख़त्म किया जाए, या बढ़ोतरी को कम से कम, 10 से 20 प्रतिशत वापस किया जाये। 

6. कृषि क्षेत्र - जीएसटी से कृषि उपकरण और मशीनरी के लिए लीजिंग सेवाओं और आयकर के प्रावधान में छूट देकर किसानों की आय में सुधार किया जा सकता है। खेती में उच्च प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए और इसके लिए पूंजी सब्सिडी प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन फण्ड (TUF) बनाएं। धन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए, कृषि मूल्य श्रृंखला के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया जाये।  

7. वित्तीय क्षेत्र - अधिकांश एनबीएफसी में नकदी की बड़ी कमी हैं, जिसका सीधा असर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप वित्तीय दबाव और व्यवसायों में मंदी आती है। वित्त मंत्री को आरबीआई के साथ मिलकर युद्ध स्तर पर स्थिति से निपटने के किये एक पेशेवर पैनल बनाने की आवश्यकता है। बड़े गैर-बैंकों को बैंकों में बदलने की अनुमति दें। वे अपने लक्षित ग्राहक एमएसएमई और अनौपचारिक क्षेत्र को सेवा देंगे,    राष्ट्रीय बैंकों के स्वामित्व को धीरे-धीरे घटाकर 26 प्रतिशत तक लाकर बढ़ावा दे; इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) की धारा 29A जो एक प्रमोटर को उसकी स्ट्रेस्ड कंपनी के लिए बोली लगाने से रोकती है, उसमे परिवर्तन जरुरी है ।

इसे भी पढ़ें: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने किया विश्व पुस्तक मेला 2020 का उद्घाटन

8. सड़क परिवहन और इलेक्ट्रिक-गतिशीलता - इस क्षेत्र के सभी मुद्दों और समस्याओं से निपटने के लिए एक एकल नोडल एजेंसी को अधिकृत किया जाना चाहिए। 22 हज़ार रुपये की सब्सिडी सभी इलेक्ट्रिक टू व्हीलर्स के लिए होनी चाहिए, अन्यथा कीमत अधिक हो जाएगी और ग्राहक इलेक्ट्रिक वाहन को नहीं लेंगे । सब्सिडी की यह राशि FAME-I के तहत उपलब्ध थी। इसे एक और वर्ष के लिए जारी रखा जाना चाहिए ताकि पुराना स्टॉक ख़त्म हो जाये ।

उपभोक्ता को ई-स्कूटर और वाहनों की ईएमआई या वित्तपोषण लागत पर आयकर लाभ देना चाहिए। सभी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए खुदरा वित्तपोषण को सरकारी सब्सिडी पीएलआर दर पर ब्याज दर में मदद दी जानी चाहिए। धनवापसी: FAME सब्सिडी की धनवापसी वर्तमान में मासिक आधार पर की जाती है। यह नकदी प्रवाह और व्यवसाय के विस्तार को रोक रहा है। इसलिए,ओईएम के लिए सभी रिफंड को   साप्ताहिक आधार पर किया जाना चाहिए जो ओईएम के लिए बेहतर नकदी प्रवाह बनाएगा।

9. हेल्थकेयर सेक्टर - यूनिवर्सल बेसिक हेल्थ कवरेज, आयुष्मान भारत को तेजी लागू  करके लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करे । पीपीपी मॉडल को बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा विकास करना । कार्यशील पूंजी की रुकावट और लागत में वृद्धि को देखते हुए जीवन रक्षक टीके (पांच प्रतिशत जीएसटी के लिए उत्तरदायी) बनाने वाली संस्थाओं को ’इनपुट सेवाओं’ से संबंधित संचित अप्रयुक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट की वापसी की अनुमति दें। जान बचने वाली दवाओं को खास छूट मिलनी चाहिए , भारत के संविधान के अनुच्छेद 243W / 243G के तहत स्थानीय अधिकारियों को सौंपे जाने वाले कार्यों के संबंध में  दी जाने वाली जीएसटी छूट के बारे में स्पष्ट राहत प्रदान की जानी चाहिए, जो निजी / सार्वजनिक उपक्रमों या धर्मार्थ ट्रस्टों को जो कचरा प्रबंधन  और पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों पर देते हैं ।

10. शिक्षा - प्राथमिक, माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा में कम लागत की शिक्षा संस्थान बनाने के लिए उच्च शिक्षा में आउटसोर्स सेवाओं पर आंशिक रूप से जीएसटी में 18 से 5 प्रतिशत तक की छूट दी जाये। शिक्षा ऋण को और अधिक किफायती बनाने लिए ब्याज दर में 12 से 5 की कमी और 5 से 10 वर्षों तक पुनर्भुगतान अवधि में वृद्धि  की जाये । आयुष्मान भारत जैसी ही एक योजना सभी के शिक्षा के लिए भी डिज़ाइन की जानी चाहिए। शिक्षा उन्मुख दान को प्रोत्साहित करने  उद्योग को धारा 80 जी के तहत वर्तमान में पचास प्रतिशत की जगह 100 प्रतिशत शिक्षा के लिए किए गए दान में आयकर में कटौती दे ।

उद्योग द्वारा स्थापित और अपने स्वयं के शैक्षणिक संस्थानों को चलाने के लिए इस लाभ को बढ़ाया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक फंड की उपलब्धता हो सके । शिक्षकों, प्रोफेसरों और शोधकर्ताओं के लिए एक विशेष कर व्यवस्था इस पेशे को प्रोत्साहित करेगी और शिक्षण में रूचि रखने वालो को  आकर्षित करेगी। शिक्षा के डिजिटल वितरण और प्रौद्योगिकी-सक्षम उच्च शिक्षा के लिए और अधिक प्लेटफार्मों की पेशकश करना। बहु-विषयक और अनुसंधान-उन्मुख सीखने की सुविधा के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों में पाठ्यक्रम की पुनः संरचना करना । 

11. प्रत्यक्ष कर संबंधित मुद्दे (Direct Tax) - वेतनभोगी व्यक्ति के लिए कर दरों की अधिकतम सीमा को कम कॉर्पोरेट कर की दरों में कमी को ध्यान में रखते हुए 25 प्रतिशत  रखा जाना चाहिए, जिससे लोगो के हाथों में अधिक पैसा देकर खपत को बढ़ावा देना चाहिए। इसके अलावा, सभी भत्ते और कटौती को पूंजीगत लाभ के लिए अधिसूचित मुद्रास्फीति की लागत के अनुसार अनुक्रमित किया जाना चाहिए।

इसे भी पढ़ें: भारी छूट और ऑफर देने के मामले में AMAZON और FLIPKART के खिलाफ जांच का आदेश

कॉर्पोरेट कर की कम दर 25 प्रतिशत के लाभ को कारोबार के निगमन / प्रारंभ के वर्ष में टर्नओवर / सकल प्राप्ति सीमा के आधार पर नई निगमित कंपनियों को दिया जाना चाहिए। कंपनियों को उनके संचित मैट क्रेडिट के  उपयोग में राहत प्रदान करने के लिए 15 साल की अवधि की सीमा को हटा दिया जाना चाहिए। समामेलन / डीमर्जर के मामले में मैट क्रेडिट को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रावधान होना चाहिए। अस्पष्टता के मामले में कानून के आवेदन पर मार्गदर्शन करने के लिए एक अध्याय शामिल किया जाना चाहिए।

अध्याय यह भी परिभाषित करे कि अस्पष्टता का क्या मतलब है, उदाहरण के लिए, यदि कुछ स्तरों पर अलग-अलग नियम हैं या शासनों के बीच संघर्ष, इसे हल करने के लिए एक स्पष्टीकरण सीबीडीटी द्वारा मुद्दों होना चाहिए। यह सुझाव दिया गया है कि ICDS को वापस ले लिया जाए क्योंकि यह कंपनी के कानून के तहत बनाए गए निर्धारित खाताबही के आलावा कर उद्देश्यों के लिए समानांतर खाताबही  सेट के रखरखाव के लिए है, जिसके परिणामस्वरूप अनुपालन का दोहराव हुआ। धारा 35 (2AB) के तहत 150 प्रतिशत की कटौती को वित्त वर्ष 20-21 से कम से कम 5 वर्षों से आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

12. जीएसटी - सभी स्लैब में जीएसटी दर को 25 प्रतिशत तक कम करें क्योंकि यह व्यवसायों को अधिक कर का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करेगा जिससे कर आधार के विस्तार के कारण अधिक राजस्व मिलेगा। पेट्रोलियम उत्पाद वर्तमान में जीएसटी के दायरे से बाहर हैं जिसके कारण उनकी खरीद पर भुगतान किए गए स्थानीय या अंतर-राज्य कर व्यवसाय की परिचालन लागत का हिस्सा हैं, क्योंकि ऐसे करों का इनपुट टैक्स क्रेडिट पात्र नहीं है। इसलिए, पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए। सभी व्यवसाय के लिए ITC का लाभ उठाने का विकल्प: इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने का विकल्प सभी व्यवसायों के लिए उपलब्ध होना चाहिए, ताकि क्रेडिट श्रृंखला अवरुद्ध न हो।

परिवहन सेवाओं के समान, उच्च आपूर्ति दर का भुगतान करने और आवक आपूर्ति का इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने का विकल्प रेस्तरां क्षेत्र में भी उपलब्ध होना चाहिए। कुछ उद्योगों के लिए केंद्रीकृत जीएसटी पंजीकरण: ऐसे क्षेत्रों के लिए जीएसटी प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए कुछ बड़े सेवा प्रदाताओं जैसे विमानन और बैंकिंग उद्योग के लिए केंद्रीयकृत पंजीकरण की अवधारणा लाई जानी चाहिए। सरकार को जीएसटी के तहत “मंडी टैक्स, स्टांप ड्यूटी, रोड टैक्स और वाहन कर  शामिल करना चाहिए।

13. रियल एस्टेट सेक्टर - स्ट्रेस्ड एसेट्स के मामले में, जून, 2019 के सर्कुलर के अनुसार, आरबीआई ने बैंकों को अपने विकल्प पर ऋणों के पुनर्गठन और / या रोल करने की अनुमति दी और ऐसे मामलों में उधारकर्ता पुनर्गठन मानक खातों की संपत्ति वर्गीकरण को बनाए रखेगा और उसको एनपीए नहीं माना जाएगा। हालांकि, उक्त सर्कुलर का लाभ रियल एस्टेट सेक्टर को नहीं मिला है। बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अन्य क्षेत्रों के लिए ऋण की तर्ज पर रियल एस्टेट सेक्टर को अपने मौजूदा ऋणों के एक-बार पुनर्गठन और  रोल ओवर करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। देश में भारी आवास की कमी को दूर करने के लिए, दो आवासीय मकानों को प्राप्त करने पर बिक्री के निवेश के लिए लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया जाना चाहिए और यदि तीन या अधिक आवास में निवेश किया जाता है, तो पूंजीगत लाभ कर से छूट के लिए दायरा बढ़ाया जाना चाहिए। व्यापार में स्टॉक के रूप में रखे गए घर की संपत्ति से संवैधानिक आय पर कर को हटाने की जरूरत है। इसके अलावा किराए पर आवास के लिए प्रोत्साहन होना चाहिए , जिससे 2022 तक  आवास दिया जा सके।  

इसे भी देखें-ASSOCHAM ने बताया आर्थिक मंदी से उबरने के रास्ते,देखिये प्रभासाक्षी की खास रिपोर्ट

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़