गैर-पाम तेल पर बढ़ाई गई पांच से 10 प्रतिशत तक आयात शुल्क

hikes import duty on non-palm oils by 5-10 percentage
[email protected] । Jun 15 2018 10:15AM

केंद्र सरकार ने घरेलू तिलहन उत्पादकों और तेल उत्पादकों के हितों के संरक्षण के लिए कच्चे और परिष्कृत गैर - पाम खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में पांच से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि की है।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने घरेलू तिलहन उत्पादकों और तेल उत्पादकों के हितों के संरक्षण के लिए कच्चे और परिष्कृत गैर - पाम खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में पांच से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि की है।  मार्च में, सरकार ने कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 44 प्रतिशत कर दिया था , जबकि रिफाइंड पाम तेल पर इसे 40 फीसदी से बढ़ाकर 54 फीसदी किया था।

लेकिन साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के मांग के बावजूद गैर-पाम कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क को अपरिवर्तित रखा गया था। एक ताजा अधिसूचना में , केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईटीसी) ने कच्चे सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क में 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया जबकि रिफाइंड सोयाबीन तेल पर इसे 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत किया है।

सूरजमुखी के तेल के मामले में, इसके कच्चे तेल पर आयात शुल्क को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया गया है , जबकि इसके रिफाइंड संस्करण पर इसे 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह, कच्चे मूंगफली के तेल पर आयात शुल्क 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया गया है , जबकि रिफाइंड मूंगफली के तेल पर इसे 35 प्रतिशत से बढ़ाकर 45 प्रतिशत कर दिया गया है।

कैनोला तेल पर आयात शुल्क 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दिया गया है। मुंबई स्थित सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने मांग की थी कि अगर सोया, सूरजमुखी और कैनोला तेलों पर आयात शुल्क को पाम तेल के समान अनुपात में नहीं बढ़ाया गया तो सरकार के किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य पूरा नहीं होगा। उसने कहा था कि अगर इन तेलों पर शुल्कों में वृद्धि नहीं गई तो किसानों को अधिक तिलहन उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करना मुश्किल होगा। भारत अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए सालाना 1.4 करोड़ टन के लगभग वनस्पति तेलों का आयात करता है।

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