प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को पार कर लेने की उम्मीद: सीबीडीटी प्रमु

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[email protected] । Sep 17 2018 6:13PM

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने सोमवार को चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य से अधिक रहने का भरोसा जताया। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 11.5 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर संग्रह होने का बजट लक्ष्य रखा है।

नयी दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने सोमवार को चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह लक्ष्य से अधिक रहने का भरोसा जताया। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 11.5 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर संग्रह होने का बजट लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में सरकार ने प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 14.3 प्रतिशत बढ़कर 11.5 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है। 

चंद्रा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से उम्मीद करते हैं कि प्रत्यक्ष कर संग्रह 11.5 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य से अधिक रहेगा।’’ हालांकि, महालेखा नियंत्रक के आंकड़े के अनुसार अप्रैल-जून अवधि में प्रत्यक्ष कर संग्रह मामूली रूप से सालाना आधार पर 4.2 प्रतिशत बढ़कर 1.54 लाख करोड़ रुपये हो गया। चंद्रा ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अब तक कर रिफंड करीब 95,000 करोड़ रुपये रहा है। इस साल सरकार ने लंबित प्रत्यक्ष कर वापसी के लिये एक से 30 जून तक विशेष अभियान चलाया। 

वित्त मंत्रालय ने पूर्व में एक बयान में कहा था कि लंबित दावों में से 99 प्रतिशत से अधिक का निपटान किया गया है। पिछले वित्त वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष कर संग्रह 18 प्रतिशत बढ़कर 10.03 लाख करोड़ रुपये रहा। चंद्रा ने कहा कि फ्लिपकार्ट-वालमार्ट सौदे में लगभग 7,500 करोड़ रुपये कर के रूप में सरकार को मिले हैं। वालमार्ट ने फ्लिपार्ट में 77 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण सौदा पूरा कर लिया है। कंपनी ने इसके लिये 16 अरब डालर का भुगतान किया है। 

सौदे के तहत कंपनी ने भारतीय कानून के तहत फ्लिपकार्ट के शेयरधारकों को भुगतान करते समय विदहोल्डिंग कर काटा है। विदहोल्डिंग कर एक प्रकार का आयकर है जो कि भुगतान करने वाले को सरकार को देना होता है। इसमें आय प्राप्त करने वाले के बजाय इसका भुगतान करने वाला कर काट कर सरकार को चुकाता है। 

घरेलू कर कानून के तहत विदेशी निवेशकों द्वारा खरीदने के 24 महीने बाद बेचे जाने वाले शेयरों पर 20 प्रतिशत की दर से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर लगाया जाता है। हालांकि, आयकर कानून में कम दर पर अथवा शून्य दर पर भी कर देने का प्रावधान है बशर्ते कि उस देश के साथ जहां से निवेश किया गया है भारत का दोहरे कराधान से बचने का समझौता हुआ हो। 

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