बैंकिंग क्षेत्र में होंगे कई अहम सुधार; निजीकरण और आईडीबीआई बैंक का विनिवेश एजेंडे में

Nirmala Sitharaman

बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक को आगामी बजट सत्र में पेश किया जा सकता है, जिससे पीएसबी में न्यूनतम सरकारी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से घटाकर 26 प्रतिशत करने में मदद मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक सरकार सबसे पहले सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का निजीकरण कर सकती है।

 नयी दिल्ली| वर्ष 2022 में सरकार के एजेंडे में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण और आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश के साथ ही बैंकिंग क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार का एजेंडा प्रमुख होगा। हालांकि जानकारों का कहना है कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन का प्रसार होने परसुधारों की गति में थोड़ी बाधा आ सकती है।

आंकड़ों के अनुसार महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के बावजूद बैंकिंग क्षेत्र ने गुजर रहे साल 2021 में काफी अच्छा प्रदर्शन किया। सरकार की बहुआयामी रणनीति - स्वीकरोक्ति, संकल्प, पुनर्पूंजीकरण और सुधार - की मदद से बैंकिंग क्षेत्र का फंसा हुआ कर्ज (एनपीए) 31 मार्च 2021 तक घटकर 8,35,051 करोड़ रुपये रह गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की जुलाई 2021 में जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) के अनुसार अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए अनुपात मार्च 2021 के 7.48 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2022 में 9.80 प्रतिशत हो सकता है।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) का शुद्ध लाभ पहली तिमाही में बढ़कर 14,012 करोड़ रुपये हो गया और सितंबर 2021 को समाप्त दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा बढ़कर 17,132 करोड़ रुपये हो गया।

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में इन बैंकों का कुल लाभ (31,114 करोड़ रुपये) पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में अर्जित कुल लाभ (31,820 करोड़ रुपये) के करीब है। इसी तरह निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक सहित अन्य बैंकों ने भी फंसे कर्ज में कमी के साथ अच्छा मुनाफा कमाया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट में सार्वजनिक उपक्रम नीति (पीएसई) जारी करते हुए कहा था कि चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश किया जाएगा। पीएसई नीति के तहत वित्त मंत्री ने बजट में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की भी घोषणा की थी।

बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक को आगामी बजट सत्र में पेश किया जा सकता है, जिससे पीएसबी में न्यूनतम सरकारी हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से घटाकर 26 प्रतिशत करने में मदद मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक सरकार सबसे पहले सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का निजीकरण कर सकती है।

हालांकि, हाल ही में संसद को दिए एक जवाब में सीतारमण ने कहा था कि मंत्रिमंडल ने दो पीएसबी के निजीकरण पर कोई निर्णय नहीं लिया है। मंत्रिमंडल ने मई में प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ ही आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी।

केंद्र सरकार और एलआईसी के पास आईडीबीआई बैंक की 94 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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