नये कारोबारी आर्डर बढ़ने से फरवरी में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी

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[email protected] । Mar 5 2019 3:47PM

विनिर्माण तथा सेवा उद्योगों दोनों की तस्वीर बताने वाला मौसमी रूप से समायोजित निक्केई इंडिया समग्र पीएमआई उत्पादन सूचकांक फरवरी में बढ़कर 53.8 पर आ गया जो इससे पिछले महीने में 53.6 था।

नयी दिल्ली। देश में फरवरी महीने में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी देखी गयी। नये कार्यों के लिये आर्डर बढ़ने से सेवा क्षेत्र में मजबूती दर्ज की गयी। इससे उत्पादन एवं रोजगार सृजन में तेजी आयी। मंगलवार को जारी मासिक सर्वे में यह कहा गया। निक्केई इंडिया सेवा व्यापार गतिविधि सूचकांक जनवरी में 52.2 से बढ़कर फरवरी में 52.5 पर पहुंच गया। यह उत्पादन में वृद्धि को बताता है।यह लगातार नौवां महीना है जब सेवा पीएमआई (परचेर्जिंग मैनेजर इंडेक्स) में वृद्धि हुई है। पीएमआई की भाषा में 50 से ऊपर का सूचकांक विस्तार को बताता है जबकि 50 से नीचे गिरावट को दर्शाता है। सर्वेक्षण के अनुसार मांग में वृद्धि के बीच सेवा प्रदाता कंपनियों को बड़े स्तर पर नये कारोबार मिले। सेवा क्षेत्र में नये आर्डर में जो वृद्धि हुई है, वह घरेलू स्तर पर है क्योंकि इस दौरान विदेशों में बिक्री में गिरावट दर्ज की गयी। आईएचएस मार्किट की प्रधान अर्थशास्त्री तथा रपट की लेखिका पालीयानी डी लीमा ने कहा, ‘‘नये कार्यों तथा व्यापार गतिविधियों में तेजी से वृद्धि से रोजगार में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गयी जो आठ साल में सबसे बेहतर है।’’

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इस बीच, विनिर्माण तथा सेवा उद्योगों दोनों की तस्वीर बताने वाला मौसमी रूप से समायोजित निक्केई इंडिया समग्र पीएमआई उत्पादन सूचकांक फरवरी में बढ़कर 53.8 पर आ गया जो इससे पिछले महीने में 53.6 था। यह निजी क्षेत्र में गतिविधियों में तेजी को बताता है। डी लीमा ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि सुदृढ़ हुई है और इसका एक प्रमुख कारण विनिर्माण क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन है जहां उत्पादन वृद्धि 14 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने यह भी कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में नया निर्यात आर्डर तेजी से बढ़ा और यह वृद्धि कमजोर वैश्विक मांग तथा व्यापार तनाव के बीच हुई।

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अन्य उभरते बाजारों को देखा जाए तो पीएमआई आंकड़ा बताता है कि मार्जिन के हिसाब से भारतीय वस्तुओं का उत्पादन करने वाले उद्योग का प्रदर्शन ब्राजील, रूस और चीन के मुकाबले बेहतर रहा है। इस बीच, कीमत दबाव हल्का बना हुआ है। सर्वे में शामिल करीब 97 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बिक्री मूल्य में बदलाव का कोई इरादा नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार मुद्रास्फीति दबाव कम होने के संकेत यह बताते हैं कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति मामले में नरम रुख अपना सकता है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक दो से चार अप्रैल को होगी।

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