विनिर्माण और व्यापार का बड़ा केन्द्र बन सकता है भारत: अरुण जेटली

india-can-become-big-center-of-manufacturing-and-trade-arun-jaitley
[email protected] । Sep 28 2018 8:08PM

उल्लेखनीय है कि अमेरिका के ट्रंप प्रशासन के एल्यूमीनियम और इस्पात पर आयात शुल्क लगाने के फैसले के बाद उसकी चीन तथा अन्य देशों के साथ व्यापार युद्ध की स्थिति बन गई है।

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि वर्तमान में जारी वैश्विक व्यापार युद्ध ‘शुरूआत में जरूरत कुछ अस्थिरता’ पैदा कर सकता है, लेकिन धीरे-धीरे यह भारत के लिए अवसरों के कई द्वार खोलेगा। इससे देश को विनिर्माण और व्यापार का एक बड़ा केन्द्र बनाने में मदद मिल सकती है। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के 113वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि कुछ वैश्विक घटनाएं भारत पर ‘विपरीत प्रभाव’ डालती हैं, लेकिन आगे आने वाले समय में यही देश के सामने तेजी से आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका के ट्रंप प्रशासन के एल्यूमीनियम और इस्पात पर आयात शुल्क लगाने के फैसले के बाद उसकी चीन तथा अन्य देशों के साथ व्यापार युद्ध की स्थिति बन गई है। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से अपने संबोधन में जेटली ने कहा, ‘‘व्यापार युद्ध ने शुरूआत में अस्थिरता पैदा की है, लेकिन आखिरकार इससे नये बाजार खुलेंगे। यह भारत के सामने एक बड़ा व्यापारिक और विनिर्माण केंद्र बनने का रास्ता खोलेगा। इसलिए हमें स्थिति को नजदीक से देखना होगा क्योंकि पता नहीं कि चुनौती कब मौका बन जाए।’’

विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच चल रहे मौजूदा व्यापार युद्ध से भारत में बनने वाली मशीनों, इलेक्ट्रिक उपकरणों, वाहनों एवं कलपुर्जों, रसायन, प्लास्टिक एवं रबर उत्पादों को अमेरिकी बाजार में नयी पहचान मिल सकती है। उन्होंने कहा कि भारत विश्व की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है। जेटली ने कहा, “हम आने वाले कुछ वर्षों में इसी दिशा में आगे बढ़ सकते हैं और यह मेरे लिए हैरानी की बात नहीं होगी। वृद्धि के अवसर हैं। हमारे पास पूर्व की धीमी रफ्तार को तेज करने का अ‍वसर है। हमारे पास तेज वृद्धि के रास्ते हैं।”

मंत्री ने कहा कि तेज वृद्धि का मतलब है अधिक नौकरियां, सरकार के पास अधिक राजस्व और समृद्ध सरकार विकास पर अधिक धन खर्च करती है। जेटली ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक से अधिक औपचारिक तंत्र के तहत आई है। जीएसटी और नोटबंदी इसमें काफी मददगार साबित हुए हैं। आयकरदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है। जीएसटी के तहत कर देने वालों की संख्या में भी पिछली अप्रत्यक्ष कर प्रणाली की तुलना में 74 फीसदी का इजाफा हुआ है।” 

जेटली ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों को भी अर्थव्यवस्था के सामने एक बड़ी चुनौती बताया, क्योंकि कच्चे तेल के लिए भारत लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भर है और अपनी जरूरत का 81% आयात करता है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमतें बढ़ने से घरेलू स्तर पर ईंधन भी महंगा हुआ है। उल्लेखनीय है कि पिछले पांच सप्ताह में मानक ब्रेंट कच्चे तेल का दाम 71 डॉलर से बढ़कर 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इन चुनौतियों के बने रहने के बावजूद, मुझे दृढ़ विश्वास है कि आने वाले दिन और साल वृद्धि के लिहाज से भारत के लिए बेहतर अवसर लाएंगे।’’

व्यापारियों से नैतिक व्यापारिक गतिविधियों को अपनाने का आग्रह करते हुए जेटली ने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) ने रातोंरात गायब हो जाने वालों की दुकान पर ताला लगा दिया है, और यदि वह नैतिक कारोबारी गतिविधियों को अपनाते हैं तो यह उन्हें कारोबार को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।

जेटली ने कहा, ‘‘मुक्त व्यापार ने कारोबार की नैतिकता पर भी जोर दिया है। जिन लोगों को कर चुकाना चाहिए, उन्हें इसे चुकाते रहना चाहिए। कर नहीं चुकाने वालों का बोझ करदाताओं पर नहीं डालना चाहिए। इसलिए सबसे प्रमुख नैतिक कार्यों में से एक यह होगा कि जो लोग कर दायरे के बाहर हैं, उन्हें कर के दायरे में लाया जाए।’’ उन्होंने कहा कि आईबीसी ने भारतीय कारोबार पर एक और नैतिक जिम्मेदारी डाली है कि यदि वह बैंक से कर्ज लेते हैं तो उन्हें इसे चुकाना होगा। ऐसा नहीं हो सकता है कि कर्ज देने के बाद कर्ज देने वाला रात को चैन से सो भी ना सके।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़