नरमी के बावजूद भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक

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[email protected] । Dec 27 2019 8:27PM

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि आर्थिक वृद्धिदर में हाल की गिरावट के बावजूद भारत विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने वर्तमान नरमी को अर्थव्यवस्थाओं में स्वाभाविक उतार चढाव के चक्र का परिणाम बताते हुए कहा कि एक अस्थायीदौर है और सरकार अर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के प्रयास कर रही है।

रायपुर। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि आर्थिक वृद्धि दर में हाल की गिरावट के बावजूद भारत विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। उन्होंने वर्तमान नरमी को अर्थव्यवस्थाओं में स्वाभाविक उतार चढाव के चक्र का परिणाम बताते हुए कहा कि एक अस्थायी दौर है और सरकार अर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के प्रयास कर रही है।

नायडु ने शुक्रवार को रायपुर में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के 102 वें सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। नायडु ने कहा कि हाल के जीडीपी के आंकड़ों में गिरावट के बावजूद, भारत विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। 

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अर्थव्यव्स्था में अस्थाई सुस्ती के दौर को बाज़ार की स्वाभाविक चक्रीय प्रवाह बताते हुए उन्होंने निजी क्षेत्र तथा अर्थशास्त्रियों से कहा कि ये समझना होगा कि मुक्त बाजार व्यवस्था में संभावित मंदी एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। यह अर्थव्यव्स्था के नैसर्गिक चक्रीय प्रवाह का अंग है। निजी क्षेत्र को मुक्त बाजार में इस अस्थाई दौर को स्वीकार करना होगा जिसका समाधान स्वाभाविक रूप से अर्थव्यव्स्था में ही होता है। उन्होंने अर्थ व्यवस्था में तेज़ी लाने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों का उल्लेख किया।

उप-राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि आर्थिक आंकड़ों का विश्लेषण हाल के वर्षों में हुए नीतिगत बदलावों के संदर्भ में करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा,‘ कोई भी एक आंकड़ा अपने आप में किसी भी अर्थव्यवस्था की तत्कालीन वस्तु स्थिति या उसकी भावी संभावनाओं को पूरी तरह प्रदर्शित नहीं कर सकता, जब तक कि उसे हाल की नीतियों, वैधानिक तथा संस्थागत संरचना में किए गए बदलावों के परिप्रेक्ष्य में न देखा जाय।’

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विमुद्रिकरण तथा जीएसटी के बाद बढ़े कर आधार तथा बैंकों में बढ़ते एनपीए की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कर और कर्ज का अनुशासन अर्थव्यव्स्था के लिए आवश्यक है। नायडु ने कहा कि जीएसटी के लागू होने के बाद 66 लाख नए करदाता शामिल हुए हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कड़े राजकोषीय तथा मौद्रिक अनुशासन के साथ तेज़ वृद्धि दर बनाए रखने के लिए कड़े नीतिगत फैसले और विधाई हस्तक्षेप आवश्यक है।

नोटबंदी तथा जीएसटी के बाद कर दाताओं की संख्या में हुई वृद्धि की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपतिने कहा कि नोटबंदी, दिवालिया कानून या ‘‘एक देश- एक कर- एक बाज़ार’’ की अवधारणा पर आधारित जीएसटी, ये सभी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को और सशक्त बनाने तथा काले धन को समाप्त करने की दिशा में उठाए गए प्रभावी कदम हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा एनपीए (अवरु ऋण) की समस्या से निपटने के लिए कारगर प्रयास किए गए हैं जिससे बैंकों की स्थिति में सुधार हुआ है।

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उपराष्ट्रपति 2025 तक देश को पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के सरकार संकल्प का उल्लेख किया कि 2022 तक जब हम अपनी स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ मनाएंगे तब तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि कारोबार की सुगमताकी तालिका में भारत 63 वें स्थान पर पहुंच गया है।लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (कारोबार सुगमता) के लाभ छोटे शहरों के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों को भी मिलने चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि रोज़गार के लिए तेज़ विकास आवश्यक है। इस संदर्भ में मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया जाना आवश्यक है जिससे वे रोज़गार खोजने वाले नहीं बल्कि रोज़गार प्रदान करने वाले उद्यमी बन सकें। उन्होंने बताया कि इस वर्ष अभी तक मुद्रा योजना के तहत लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपएमूल्य के ऋण तीन करोड़ से अधिक लाभार्थियों में वितरित किए जा चुके हैं। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप केंद्र बन गया है तथा 2025 तक एक लाख स्टार्टअप स्थापित करने का लक्ष्य है जिसमें 100 यूनिकॉर्न कंपनियां होंगी जिनमें प्रत्येक का मूल्य एक अरब डॉलर से अधिक का होगा।

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ग्रामीण विकास के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था में विविधीकरण की आवश्यकता बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि भारत की मूल पहचान है, वह हमारी सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी है। अर्थशास्त्र में कृषि को प्राथमिक क्षेत्र कहा जाता है जिसके मजबूत आधार पर ही अर्थव्यव्स्था की विशाल इमारत खड़ी होती है। नायडु ने कहा कि कृषि को ई नाम जैसी डिजिटल व्यवस्था से विस्तृत बाज़ार से जोड़ने की आवश्यकता है।..सब्सिडी, ऋण माफी जैसे कदम अस्थाई हैं। उन्होंने कहा कि कृषि को लाभकारी बनाने के लिए उसमें विविधीकरण की आवश्यकता है।

राज्यों के अर्थप्रबंधन की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि राज्य आधारभूत परियोजनाओं में पूंजीगत निवेश नहीं कर पा रहे हैं। इस अवसर पर राज्यपाल अनुसूईया उइके, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, अर्थशास्त्री, उद्योगपति और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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